आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई सहमति को वापस ले लिया है| अब सीबीआई को किसी भी ऑफिशियल काम के लिए राज्य में प्रवेश करने से पहले आंध्र सरकार से इजाजत लेनी होगी|
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सीबीआई के विवाद और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस की वजह से जांच एजेंसी पर राज्य सरकार का भरोसा कम हुआ है| और इसी कारण राज्य सरकार ने अपनी सहमति को वापस ले लिया है| हालांकि, राज्य सरकार के इस कदम को केंद्र के साथ टकराव के रूप में देखा जा रहा है| क्योंकि मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने गठबंधन बनाने के लिए गैर-बीजेपी दलों को साथ लाने की कोशिश में हैं|
आंध्रप्रदेश सरकार ने दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिश्मेंट ऐक्ट 1946 के तहत उस आम सहमति को वापस ले लिया है जो दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट के सदस्यों को सूबे के भीतर अपनी शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने के लिए दी गई थी।
8 नवंबर को प्रधान सचिव एआर अनुराधा द्वारा जारी किए गए सरकारी आदेश संख्या 176 में कहा गया है| दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 (1946 का केंद्रीय अधिनियम संख्या 25) की धारा 5 द्वारा प्रदत्त शक्ति के प्रयोग में सरकार आंध्र प्रदेश राज्य में दिए गए अधिनियम के तहत शक्तियों और क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने के लिए दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सभी सदस्यों को 3 अगस्त, 2018 को भारत सरकार के 1099 (एससीए) विभाग में दी गई सामान्य सहमति वापस लेती है| 3 अगस्त 2018 को अन्य राज्यों की तरह आंध्र सरकार ने सीबीआई को दी गई सहमति को रिन्यू कर दिया था|
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क्या है यह पूरा मामला
दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत सीबीआई का गठन हुआ था| दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम 1946 की धारा 5 में देश के सभी क्षेत्रों में सीबीआई को जांच की शक्तियां दी गई हैं| वहीं धारा 6 में कहा गया है कि विशेष राज्य सरकार की सहमति के बिना केंद्रीय एजेंसी उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती|
धारा 6 की वजह से सभी राज्य सरकार केंद्र को एक सहमति पत्र जारी करती है जिसमें सीबीआई को राज्य में छानबीन और जांच की निर्विरोध इजाजत दी जाती है| 3 अगस्त 2018 को अन्य राज्यों की तरह आंध्र सरकार ने भी सीबीआई को दी गई सहमति को रिन्यू कर दिया था| लेकिन अब राज्य सरकार ने इस समझौते को रद्द कर दिया है| इसके बाद सीबीआई, राज्य सरकार से सहमति के बगैर राज्य में किसी भी तरह की खोज, छापे या जांच नहीं कर सकती|
माना जा रहा है कि केंद्र की बीजेपी सरकार और चंद्रबाबू नायडू के रिश्तों में पड़ी खटास के कारण राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है| साथ ही चंद्रबाबू नायडू विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ एक गठबंधन बनाने की कोशिश में भी जुटे हैं| हालांकि राज्य सरकार ने इसके पीछे सीबीआई के अंदर छिड़े घमासान और सुप्रीमकोर्ट में चल रहे केस को कारण बताया है|
अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार सहमति वापस लेने का अधिकार इस्तेमाल कर सकती है| वर्तमान में आंध्र प्रदेश में कोई भी प्रमुख सीबीआई मामले नहीं चल रहे हैं| सीबीआई के अंदर उठे बवाल का केंद्र मांस निर्यातक मोइन कुरैशी और व्यवसायी साना सतीश बाबू का मामला भी नई दिल्ली में पंजीकृत है|

