मंगलवार रात को घर पर हुआ था कार्डिएक अरेस्ट
दिल्ली के एम्स अस्पताल में कराया गया भर्ती
रात से ही घर पर श्रद्धांजलि, नेताओं और क़रीबी लोगों का लगा तांता
बुधवार दोपहर 12 से 3 बजे तक दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर पार्टी मुख्यालय में दी जाएगी श्रद्धांजलि
शाम 4 बजे लोधी रोड शवदाह गृह में होगी अंत्येष्टि
67 साल उम्र में हुआ निधन
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
बीजेपी की पहली महिला मुख्यमंत्री
भारत में पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री
सात बार सांसद (6 लोकसभा, 1 राज्यसभा) और तीन बार विधायक
यह महज़ संयोग ही है कि अक्टूबर, 2018 से लेकर अगस्त 2019 तक में दिल्ली ने अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को खो दिया है। 27 अक्टूबर की रात को पूर्व सीएम और ‘दिल्ली का शेर’ कहे जाने वाले मदन लाल खुराना ने अंतिम सांस ली तो 20 जुलाई, 2019 को 15 साल तक दिल्ली पर राज करने वाली शीला दीक्षित ने दुनिया को अलविदा कह दिया। वहीं, 6 अगस्त की रात को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया। आइए जानते हैं कुछ अजब संयोग जो तीनों के बीच कॉमन था। इतना ही नहीं, इस स्टोरी में पढ़िए सुषमा स्वराज को लेकर कई अहम बातें, जो कम ही लोग जानते होंगे।
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फ़रवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला कैंट में हुआ था। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे। अम्बाला छावनी के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत और राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई करने के बाद सुषमा ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से क़ानून की डिग्री ली।
सुषमा स्वराज ने कॉलेज के दिनों में लगातार तीन वर्षों तक एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट रही और हरियाणा सरकार के भाषा विभाग की आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में लगातार तीन बार सर्वक्षेष्ठ हिंदी वक्ता का पुरस्कार जीता। क़ानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1973 में सुषमा ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी।
उनका विवाह जुलाई 1975 में सुप्रीम कोर्ट के ही सहकर्मी स्वराज कौशल से हुआ। उनके पति स्वराज कौशल भी सुप्रीम कोर्ट में वकील थे। स्वराज कौशल वो नाम है जो 34 वर्ष की आयु में ही देश के सबसे युवा महाधिवक्ता और 37 साल की उम्र में देश के सबसे युवा राज्यपाल बने। 1990-93 के बीच मिज़ोरम के राज्यपाल बनाए गये थे।
सुषमा स्वराज ने इमरजेंसी के दौरान कौशल बड़ौदा डायनामाइट केस में उलझे समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस के वकील थे। इसी केस के सिलसिले में सुषमा स्वराज जॉर्ज फर्नांडिस की डिफेंस टीम में शामिल हुईं। जॉर्ज फर्नांडिस को जून 1976 में गिरफ़्तार कर मुज़फ़्फ़रपुर की जेल में रखा गया था। तो उन्होंने वहीं से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया। 1977 के लोकसभा चुनाव में जॉर्ज ने जेल से ही नामांकन भरा। उस वक़्त सुषमा दिल्ली से मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचीं और पूरे क्षेत्र में हथकड़ियों में जकड़ी जॉर्ज फर्नांडिस की तस्वीर दिखा कर प्रचार किया। उस दौरान उन्होंने ‘जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा’ का नारा दिया जो लोगों की ज़ुबान पर छा गया। जॉर्ज चुनाव जीत गये और मुज़फ़्फ़रपुर के लोगों ने परिवर्तन की लहर देखी।
सबसे युवा कैबिनेट मंत्री का रिकॉर्ड
सुषमा स्वराज ने आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल के बाद वह जनता पार्टी की सदस्य बन गयीं। इसके बाद 1977 में पहली बार सुषमा ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और महज़ 25 वर्ष की आयु में चौधरी देवी लाल सरकार में राज्य की श्रम मंत्री बन कर सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने की उपलब्धि हासिल की। दो साल बाद ही उन्हें राज्य जनता पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया। 80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के गठन पर सुषमा बीजेपी में शामिल हो गयीं। वह अंबाला से दोबारा विधायक चुनी गयीं और बीजेपी-लोकदल सरकार में शिक्षा मंत्री भी रही।
लोकसभा डिबेट का लाइव प्रसारण
सुषमा स्वराज 1990 में राज्य सभा की सदस्य बनीं। 6 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद 1996 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीतीं और अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बानी। इसी दौरान उन्होंने लोकसभा में चल रही डिबेट के लाइव प्रसारण का फ़ैसला किया था।
साल 1998 में सुषमा दोबारा दक्षिण दिल्ली संसदीय सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। इस बार उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के साथ ही दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया। उनके इस कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि भारतीय फ़िल्म को एक उद्योग के रूप में घोषित करना रहा। इस फ़ैसले के बाद भारतीय फ़िल्म उद्योग को बैंकों से क़र्ज़ मिल सकता था।
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
अक्तूबर 1998 में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया और बतौर दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री कार्यभार संभाला। जबकि दिसंबर 1998 में उन्होंने राज्य विधानसभा सीट से इस्तीफ़ा देते हुए राष्ट्रीय राजनीति में वापसी की और 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतरीं लेकिन वो चुनाव हार गई। फिर साल 2000 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद के रूप में संसद पहुंची। अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्रीय मंत्रिमंडल में वो फिर से सूचना प्रसारण मंत्री बनाई गई। बाद में उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया।
आडवाणी की जगह बनीं नेता प्रतिपक्ष
साल 2009 में जब सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के विदिशा से लोकसभा पहुंची तो अपने राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी की जगह पर 2014 तक 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बानी। 2014 में वो दोबारा विदिशा से जीतीं और मोदी मंत्रिमंडल में भारती की पहली पूर्णकालिक विदेश मंत्री बनी। सुषमा स्वराज बीजेपी की एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत, दोनों क्षेत्र से चुनाव लड़ा है। वह भारतीय संसद की ऐसी अकेली महिला नेता हैं जिन्हें असाधारण सांसद चुना गया।
सुषमा स्वराज अपने जीवन सात बार सांसद और तीन बार विधायक, दिल्ली की पांचवीं मुख्यमंत्री, 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्य मंत्री, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और विदेश मंत्री रह चुकी हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ट्विटर पर भी काफ़ी सक्रिय रहती थीं। विदेश में फँसे लोग बतौर विदेश मंत्री उनसे मदद मांगते। चाहे पासपोर्ट बनवाने का काम ही क्यों न हो वो किसी को निराश नहीं करतीं थी।
ट्विटर पर काफी सक्रिय थी
साल 2018 को संयुक्त राष्ट्र में दिया सुषमा का भाषण ख़ूब चर्चा में रहा। इसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को परिवार के सिद्धांत पर चलाने की वकालत की। इस भाषण में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ कई मौक़ों पर बातचीत शुरू हुई लेकिन ये रुक गयी तो उसकी वजह पाकिस्तान का व्यवहार है। उन्होंने 2015 में भी संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भाषण दिया था और उस दौरान भी जमकर पाकिस्तान पर गरजीं थीं। तब उन्होंने पाकिस्तान को ‘आतंकवादी की फैक्ट्री’ कहकर संबोधित किया था।
वह लगातार अपने बयानों में पाकिस्तान से चरमपंथ छोड़कर बातचीत की बात करती थीं। विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान लगातार यह भी ख़बर आती रही कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। 2016 में ट्वीट कर उन्होंने आम लोगों को अपने किडनी के ख़राब होने की जानकारी दी। उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। दो साल बाद 2018 में सुषमा ने यह एलान कर दिया था कि वो 2019 का चुनाव नहीं लड़ेंगी।
सुषमा स्वराज ने दो दिन पहले ख़ुद ने अनुच्छेद 370 को ख़त्म किए जाने पर ट्वीट किया था। मौत से महज़ कुछ घंटे पहले ही ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हुआ ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।” यह कोई नहीं जानता था कि यह सुषमा स्वराज का आख़िरी ट्वीट होगा। 06 अगस्त 2019 को उनके देहांत के साथ ही भारतीय राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर अपनी श्रद्धांजलि में लिखा कि बीजेपी के विकास में सुषमा स्वराज ने बड़ा योगदान दिया।