केंद्र सरकार का आकंतियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी है वहीं दूसरी तरफ सरकार ने अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां श्रीनगर भेज दी हैं। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही सरकार सख्त कदम उठा रही है और श्रीनगर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शुक्रवार रात जेकेएलएफ के प्रमुख और अलगाववादी नेता यासीन मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट में धारा 35ए पर होने वाली सुनवाई के मद्देनजर हुई है।
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार घाटी ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां भेजी गई हैं। इनमें सीआरपीएफ की 45 कंपनियां, 35 बीएसएफ की और सशस्त्र सेना बल के अलावा आईटीबीपी की 10-10 कंपनियां शामिल हैं।
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घाटी में जारी सरकार की कार्रवाई से अलगाववादी घबराए हुए हैं। पिछले दिनों घाटी में जमात-ए-इस्लामी के कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सरकार के इन कदमों को जमात-ए-इस्लामी नेक्षेत्र को अनिश्चितता में डालने के लिए तैयार साजिश करार दिया है।
इस कार्रवाई से महबूबा मुफ्ती भी नाखुश नजर आईं और उन्होंने ट्वीट कर इसकी आलोचना की है। उन्होंने लिखा है कि पिछले 24 घंटों में हुर्रियत नेताओं और कईं जमात कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। इसे समझ नहीं पा रहे हैं।
यासीन की सुरक्षा भी हुई थी वापस
बता दें कि इससे पहले गृह मंत्रालय के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 22 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और सरकारी सुविधाएं वापस ले ली थी| इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के 155 राजनीतिक शख्सियतों को दी गई सुरक्षा में बदलाव किया था| इस सूची में यासीन मलिक का भी नाम था|
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गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक इन अलगाववादी नेताओं और राजनीतिक व्यक्तियों की सुरक्षा में 1000 से ज्यादा पुलिसकर्मी और 100 के करीब सरकारी गाड़ियां लगी हुई थीं, इन्हें अब वापस ले लिया गया है| सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए यासीन मलिक ने कहा था कि सरकार ने उसे कोई सुरक्षा दी ही नहीं थी|