महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर सहमत हो गई है| फडणवीस सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में मराठा आरक्षण का बिल पेश किया जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया| सीएम फडणवीस ने नौकरी और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा था जिसे दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया| सरकार अब जल्द ही कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर इसे अमल में लाने का प्रयास करेगी|
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से मराठा और धनगर समाज के आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में गतिरोध बना हुआ था| मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तर्क-वितर्क पर सवाल उठे थे| साथ ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष के मन में काला होने का आरोप लगाया था वहीँ, विपक्ष ने सरकार की नीयत पर शक जताया था|
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महाराष्ट्र विधानसभा में बिल पेश करते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘हमने मराठा आरक्षण के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली है और हम आज विधेयक लाए हैं| हालांकि, फडणवीस ने धनगर आरक्षण पर रिपोर्ट पूरी न होने की बात कही| उन्होंने कहा की धनगर आरक्षण पर रिपोर्ट पूरी करने के लिए एक उप समिति का गठन किया गया है और जल्द ही एक रिपोर्ट और एटीआर विधानसभा में पेश की जाएगी|’ पहले विधानसभा से विधेयक आम सहमति से पारित होकर विधान परिषद पहुंचा जहां से इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया|
खबर के मुताबिक सरकार की कोशिश 5 दिसंबर से राज्य में मराठा आरक्षण लागू करने की है| अब अगले पांच दिन में कानूनी औपचारिकता पूरी कर इसे अमल में लाया जा सके| कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने मराठा आरक्षण विधेयक पास होने के लिए पूरे मराठा समुदाय को श्रेय दिया| उन्होंने यह भी कहा कि वोटों के ध्रुवीकरण के लिए फडणवीस सरकार ने यह फैसला लिया है और इसीलिए सरकार ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कोई फैसला नहीं किया|
मिल सकती है क़ानूनी चुनौतियाँ
महाराष्ट्र सरकार ने भले ही राज्य पिछड़ा आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया हो लेकिन सरकार यह मानती है कि इस मामले में उन्हें कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा| महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री और सरकारी अधिकारी दावा कर रहे हैं कि राज्य की कुल जनसंख्या में 30-32 फीसदी मराठा समुदाय के लोग हैं और इसलिए उन्हें 50 फीसदी का आनुपातिक आरक्षण प्राप्त होगा| इसी के आधार पर मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के तहत 16 फीसदी आरक्षण का फैसला किया गया है लेकिन मराठा की उपजाति ‘कुनबी समुदाय’ जिसे पिछड़ा माना जाता है, का दावा है कि पूरे राज्य की जनसंख्या में मराठाओं की भागीदारी केवल 30 में से 12 फीसदी ही है|
महाराष्ट्र में कुनबी सेना के मुखिया (वर्तमान में कांग्रेस के साथ) विश्वनाथ पाटिल ने कहा कि जनसंख्या में मराठाओं की 30 फीसदी हिस्सा वाला आंकड़ा गलत है| मराठाओं और राज्य सरकार ने कुनबी जनसंख्या की गिनती भी मराठा समुदाय के साथ की है| हम मराठा की उपजाति हैं और वे हमें अपना हिस्सा नहीं मानते हैं| अगर आप कुनबी को इस फिगर से हटाते हैं तो राज्य में मराठाओं की संख्या 12 फीसदी ही है|
विश्वनाथ पाटिल पूछते हैं, हम ओबीसी श्रेणी में आते हैं तो फिर हम क्यों नवनिर्मित एसईबीसी कैटिगरी में शामिल होंगे जब हम जानते हैं कि यह कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा| महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर राज्य मराठों को 6-9 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है तो भी इसे कानूनी बाधा का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 फीसदी आरक्षण सीमा पार हो जाएगी|

