12 जनवरी, 2018. ये तारीख इतिहास में याद की जाएगी| ऐसा पहली बार हुआ है कि
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने देश की मीडिया को संबोधित किया हो|
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन
लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे|
अदालत की समस्याओं को सूचीबद्ध करते हुए शुक्रवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
के खिलाफ बगावत जैसा कदम उठा कर सभी को चौंका दिया। इन न्यायाधीशों ने कहा
कि ये समस्याएं देश की सर्वोच्च न्यायपालिका को नुकसान पहुंचा रही हैं और
ये भारतीय लोकतंत्र को नष्ट कर सकती हैं। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में
अपनी तरह की पहली घटना है। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे
चेलामेश्वर और अन्य तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों ने न्यायपालिका से जुड़े
विभिन्न मुद्दों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की|
इन चारों जजों द्वारा उठाए गए गंभीर मसले ये हैं-
1) जज चेलामेश्वर ने कहा- सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और
बीते दिनों में बहुत कुछ हुआ है।
2) हमने भारत के प्रधान न्यायाधीश को समझाने का प्रयास किया कि चीजें सही
नहीं हैं। दुर्भाग्यवश हम असफल रहे: न्यायमूर्ति चेलामेश्वर|
3) जब तक इस संस्था को संरक्षित नहीं किया जाता, इस देश में लोकतंत्र जीवित
नहीं रहेगा: न्यायमूर्ति चेलामेश्वर|
4) हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि चारों वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने
अपनी आत्मा बेच दी थी: न्यायमूर्ति चेलामेश्वर|
5) हम चारों ने आज सुबह प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की और संस्था को
प्रभावित करने वाले मुद्दे उठाए: न्यायमूर्ति चेलामेश्वर|
6) कोई भी वरिष्ठता को लांघ नहीं रहा और हम देश के प्रति अपने कर्तव्य का
निर्वहन कर रहे हैं: न्यायमूर्ति गोगोई7) न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने कहा-
संस्थान और राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। संस्थान को बचाने के
लिये कदम उठाने हेतु प्रधान न्यायाधीश को समझाने के हमारे प्रयास विफल हो
गए।
8) न्यायाधीशों ने कहा- जिस बात से वे दुखी हैं उसकी जानकारी सार्वजनिक
करने में उन्हें ‘कोई खुशी’ नहीं हो रही है।
9) न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा- कोई भी अनुशासन भंग नहीं कर रहा है और यह जो
हमने किया है वह तो राष्ट्र का कर्ज उतारना है।
10) चार महीने सभी चार जजों ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था, जो कि
प्रशासन के बारे में थे, हमने कुछ मुद्दे उठाए थे।
सरकार का रुख
सरकार का मानना है कि इस तरह का मामला कभी नहीं हुआ, इसलिए तय किया है, वह
इस पूरे मसले को पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट को ही आपस में तय करने देगी।
फैसले के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस पूरे मसले से दूरी बनाए
रखी और उन्होंने न सिर्फ पहले से तय तीन अप्वाइंटमेंट्स रद्द कर दिए, बल्कि
मीडिया से भी नहीं मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना के एक घंटे के
अंदर ही प्रसाद को तलब कर इस पूरे विवाद की जानकारी ली। वहीं, रविशंकर देर
शाम 7 बजे तक दफ्तर में ही जमे रहे। उन्होंने अपने स्टाफ से कहा कि मीडिया
को जानकारी दें कि मंत्री दफ्तर में बैठे हैं। पीएम से मुलाकात का उनका कोई
कार्यक्रम नहीं था। विधि राज्यमंत्री पीपी चौधरी को एक टिप्पणी को लेकर
प्रसाद की फटकार भी सुननी पड़ी।

