मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को चेन्नई–सेलम के बीच आठ–लेन एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण की घोषणा को रद्द कर दिया है। राज्य और केंद्र सरकार ने बीते साल मई में अधिसूचना जारी की थी और परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण शुरू किया था। इसे लेकर किसानों ने कड़ा विरोध–प्रदर्शन किया था।
पट्टाली मक्कल कांची व अन्य ने सड़क परियोजना के खिलाफहाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएमके के प्रवक्ता के.बालू ने पत्रकारों से कहा कि यह पीएमके की सफलता है।
टेलीविजन चैनल से बातचीत करते हुए तमिलनाडु के मछली पालन मंत्री डी.जयकुमार ने कहा कि सरकार ऐसी परियोजनाओं को लागू नहीं करेगी जो किसानों को प्रभावित करे। उन्होंने कहा कि फैसले के बारे में अध्ययन किया जा रहा है। इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड चेन्नई– सलेम राजमार्ग परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया को अमान्य घोषित करने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। यह याचिका दायर की गई जिसमें भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापना में निष्पक्ष मुआवजे एवं पादर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 105 तथा अधिनियम की चौथी अनुसूची को असंवैधानिक और अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी।
एनजीओ पूवुलागिन नंबरगल ने दलील दी थी कि संबंधित अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही पहले ही शुरू कर दी जबकि उन्हें इससे प्रभावित होने वाले लोगों की आपत्तियां मिल चुकी थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि 11 जून को अधिकारियों ने एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें 21 दिन के भीतर आपत्तियां मांगी गई थी।