एपीजे कलाम को उनके 87th जन्मदिन पर याद क्या गया

मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरनॉटिकल साइंस के छात्र रहे कलाम साहब ने भारतीय वायुसेना में नाकाम रहने के बाद 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में नौकरी शुरू की| उनके निर्देशन में भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसएवी -3 बनाया और 1980 में पहला उपग्रह रोहिणी अंतरिक्ष में स्थापित किया गया|

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87th birthday of apj abdul kalam celebrated

आज मिसाइल मैन ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्मदिन उनके पेइकरम्बू इस्थित स्मारक पे बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है। बतौर वैज्ञानिक उन्होंने देश को मिसाइल टेक्नोलॉजी में विश्व स्तरीय बना दिया वहीं एक राष्ट्रपति के रूप में करोडों हिन्दुस्तानियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा भी दी। वो देश के 11 वें राष्ट्रपति थे जिन्हें लोग ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी पुकारते थे। उनके विचार युवाओं के लिए बेहद प्रेरक रहे हैं। डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था| आज ही के दिन २०१५ में शिलॉन्ग आईआईएम में लेक्चर देते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा | आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं कर सके, 83 वर्ष के कलाम साथ छोड़ चुके थे |

एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था| एक मछुआरे का बेटा अखबार बेचा करता था| यह कलाम के जीवन का शुरुआती सफर था| वे देश के चोटी के वैज्ञानिक बने और फिर सबसे बड़े राष्ट्रपति पद को भी शोभायमान किया | वे करोड़ों युवाओं के प्रोसाहित करते रहे|

भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक

मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरनॉटिकल साइंस के छात्र रहे कलाम साहब ने भारतीय वायुसेना में नाकाम रहने के बाद 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में नौकरी शुरू की| उनके निर्देशन में भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसएवी -3 बनाया और 1980 में पहला उपग्रह रोहिणी अंतरिक्ष में स्थापित किया गया|

यह वह दौर था जब पूरी दुनिया में युद्ध के आयाम और मायने बदल रहे थे| किसी भी देश के हथियारों के जखीरे में मिसाइलों का होना उस देश की ताकत और आत्मरक्षा का पर्याय माना जाने लगा था|

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विश्व के ताकतवर देश अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को भारत जैसे देश के साथ साझा नहीं कर रहे थे| भारत सरकार ने अपना स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रम इंटीग्रेटेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू करने का फैसला किया और इसकी जिम्मेदारी कलाम साहब के कंधों पर सौंपी गई|

कलाम साहब के निर्देशन में भारत ने जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की पृथ्वी मिसाइल, जमीन से हवा में काम करने वाली त्रिशूल मिसाइल, टैंक भेदी नाग जैसी मिसाइल बनाकर दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई| अपनी इन कामयाबियों के चलते वह ‘मिसाइल मैन’ के नाम मशहूर हो गए|

1992 से 1999 तक कलाम साहब रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे| इस दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण भी किया जिसमें कलाम साहब की भूमिका बेहद खास थी| उनकी इन उपलब्धियों के चलते उन्हें 1997 तक भारत रत्न समेत सभी नागरिक सम्मान मिल चुके थे|

राष्ट्रपति बनने का किस्सा

साल 2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन का कार्यकाल खत्म हो रहा था| उस वक्त की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के पास उतना बहुमत नहीं था कि वह अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवा सकें| राजनीतिक बिसात पर हर कोई अपने मोहरे सेट कर रहा था|

ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने कलाम साहब के नाम का प्रस्ताव रखा जिसे वाजपेयी सरकार ने हाथों हाथ लिया| कांग्रेस पार्टी एक मुस्लिम के राष्ट्रपति पद की दावेदारी को खारिज करने का जोखिम नहीं उठा सकती थी और वाम दलों के अलावा बाकी सभी दलों के समर्थन से कलाम साहब इस देश के 11वें राष्ट्रपति बन गए|

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एपीजे कलाम को उनके 87th जन्मदिन पर याद क्या गया
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एपीजे कलाम को उनके 87th जन्मदिन पर याद क्या गया
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मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरनॉटिकल साइंस के छात्र रहे कलाम साहब ने भारतीय वायुसेना में नाकाम रहने के बाद 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में नौकरी शुरू की| उनके निर्देशन में भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसएवी -3 बनाया और 1980 में पहला उपग्रह रोहिणी अंतरिक्ष में स्थापित किया गया|
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