
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रदूषण के वजह से खतरनाक असर के बारे में हमें लंबे समय से जानकारी है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस समस्या पर रोक लगाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले उपाय नाकामयाब साबित हुआ हैं। दुनिया भर में हर साल तकरीबन 90 लाख लोग सालाना असमय ही मौत के शिकार हो जाते हैं। वर्ष 2015 में हमारे देश में यह संख्या 25 लाख से अधिक थी। लांसेट की हालिया रिपोर्ट ने एक बार फिर समूचे विश्व को चेताया है कि यदि जल्दी ही प्रदूषण पर रोक नहीं लगा, तो न सिर्फ जीना दूसवार हो जायेगा, बल्कि विकास और समृद्धि की तमाम चुनौती भी पूरी नहीं हो पायेगी। लोगों के सामने आज यह एक भयंकर चुनौती है जिसका सामना विदेश से मिल-जुल कर करना होगा।
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वायु प्रदूषण को लेकर ‘दी लैंसेट प्लैनेट्री हेल्थ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण 12.4 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। उनमे से ज्यादातर 70 वर्ष से कम उम्र के थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के कारण लोगों की औसत उम्र करीब 1.7 वर्ष घट गयी है। विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश हैं जहां पीएम 2.5 का लेवल हर वर्ष विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा होता हैबी। भारत का एक भी ऐसा राज्य नहीं था जहां पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से 10 माइक्रोग्राम/मी³, 45 से कम हो।
भारत के साथ-साथ अन्य प्रदूषित देश भी शामिल
कुल मिलकर 2015 में में वायु प्रदूषण के लिए सबसे अधिक मृत्यु दर वाले दस देश चीन (1.5 मिलियन), पाकिस्तान (0.22 मिलियन), नाइजीरिया (0 .21 मिलियन), बांग्लादेश मे (0.21 मिलियन), रूस (0 .17 मिलियन), अमेरिका (1.5 लाख), कांगो(1.2 लाख), ब्राजील (01 लाख), फिलीपींस( 90 हजार) है। बांग्लादेश, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, दक्षिण सूडान और हैती जैसे देश में भी प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु होती हैं। 2015 में प्रदूषण के कारण विश्व में जितनी असमय मौतें हुईं, उन मौतों का लगभग पांचवा हिस्सा इन्हीं देशों से था।
कुल मिलाकर, 2017 में वायु प्रदूषण के लिए सबसे अधिक मृत्यु दर वाले दस देश चीन (1.2 मिलियन), भारत (1.2 मिलियन), पाकिस्तान (128,000), इंडोनेशिया (124,000), बांग्लादेश (123,000), नाइजीरिया (114,000), संयुक्त राज्य अमेरिका थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेट्स (108,000), रूस (99,000), ब्राज़ील (66,000), और फिलीपींस (64,000) है।
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सरकार प्रदुषण पर रोक लगा सकती है
हजार्ड्स सेंटर के निदेशक दुनू रॉय ने मीडिया से बात करते हुए बताया की दुनियाभर में प्रदूषण की बड़ी वजहोंको नजरअंदाज किया जाता है और गाहे-ब-गाहे आनेवाली वजहों पर शोर मचाया जाता है। करीब-करीब सारे देशों की सरकारें इसी तरह का बहाना ढूंढ़ता हैं, ताकि असली और बड़ी वजहों पर लोगों का ध्यान ही न जाये। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा तो दिया, लेकिन यह इसलिए दिख रही है, क्योंकि एक दिन का मामला है और बहुत सारा धुआं दिखने लगता है।