
सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, साथ ही वर्मा ने डीजी फायर सर्विस का चार्ज लेने से इनकार करते हुए इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उनके मामले में प्राकृतिक न्याय को समाप्त कर दिया है। उन्होंने ने कहा कि सीबीआई की साख को बर्बाद करने की कोशिश हो रही है। जबकि सीबीआई को बिना बाहरी दबाव के काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने सीबीआई की साख बनाए रखने की कोशिश की है। लेकिन मुझे निदेशक के पद से हटा दिया गया है।
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम व केंद्रशासित प्रदेश कैडर के अधिकारी वर्मा का तबादला कल महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद पर कर दिया गया था। सीबीआई निदेशक के पद पर वर्मा का दो वर्षों का कार्यकाल आगामी 31 जनवरी को पूरा होने वाला था। लेकिन इससे 21 दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के सीकरी की समिति ने 2-1 के बहुमत से वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फैसला किया। मोदी और न्यायमूर्ति सीकरी वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने के पक्ष में थे जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने गुरूवार को उन्हें सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था। वर्मा ने अपने त्याग-पत्र में कहा कि यह एक सामूहिक आत्ममंथन का क्षण है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव को भेजे गए अपने इस्तीफे में वर्मा ने कहा कि यह भी गौर किया जाए कि अधोहस्ताक्षरी 31 जुलाई 2017 को ही सेवानिवृत हो चुका था और 31 जनवरी 2019 तक सीबीआई के निदेशक के तौर पर अपनी सेवा दे रहा था, क्योंकि यह तय कार्यकाल वाली भूमिका होती है। अधोहस्ताक्षरी अब सीबीआई निदेशक नहीं है और महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद के लिहाज से पहले ही सेवानिवृति की उम्र पार कर चुका है। अत: अधोहस्ताक्षरी को आज से सेवानिवृत समझा जाए।
उच्चतम न्यायालय ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया था। इसके बाद वर्मा ने राव द्वारा किए गए सभी तबादले रद्द कर दिए थे। उन्होंने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मामले की जांच के लिए एक नया जांच अधिकारी भी नियुक्त किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने वर्मा का सीबीआई से बृहस्पतिवार को तबादला कर दिया था। सरकार ने अतिरिक्त निदेशक नागेश्वर राव को एजेंसी का प्रभार सौंपा। वर्मा और अस्थाना को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के दौरान भी राव ने 77 दिनों तक प्रभार संभाला था। उच्चतम न्यायालय ने राव को कोई भी बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से रोक दिया था लेकिन इस बार उनके कार्यकाल में ऐसी कोई शर्त नहीं है।

