अमेरिका ने भारत के साथ जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेंज (जीएसपी) कार्यक्रम के लाभार्थी का दर्जा वापस लेने का फैसला किया है| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को वहां की संसद में यह जानकारी दी कि अमेरिकी कानून के मुताबिक यह बदलाव नोटिफिकेशन जारी होने के दो महीने बाद लागू होंगे| अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम में शामिल देशों को विशेष तरजीह दी जाती है| अमेरिका उन देशों से एक तय राशि के आयात पर शुल्क नहीं लेता|
ट्रम्प का कहना है कि उन्हें भारत से यह भरोसा नहीं मिल पाया है कि वह अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों को बराबर की छूट देगा| अमेरिका का कहना है कि भारत में पाबंदियों की वजह से उसे व्यापारिक नुकसान हो रहा है| वह जीएसपी के मापदंड पूरे करने में नाकाम रहा है| अमेरिका ने पिछले साल अप्रैल में जीएसपी के लिए तय शर्तों की समीक्षा शुरू की थी|
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भारत को 40 हज़ार करोड़ का होगा नुकसान–
जीएसपी के दर्जा वापस लिए जाने से भारत को 5.6 अरब डॉलर यानी कुल 40 हजार करोड़ का नुकसान होगा| जीएसपी से बाहर रहने पर भारत को इसका फायदा नहीं मिलेगा| भारत जीएसपी का सबसे बड़ा लाभार्थी देश है|
इस मामले पर वाणिज्य सचिव अनूप वधावन का कहना है कि अमेरिका के साथ हमारे रिश्ते मजबूत हैं| व्यापार से जुड़े मुद्दों पर हम वार्ता कर रहे हैं लेकिन मेडिकल उपकरणों के मामले में समझौता नहीं करेंगे| जीएसपी के फायदों का आर्थिक मूल्य बहुत ज्यादा नहीं है| अमेरिका से बातचीत जारी रखेंगे|
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ट्रम्प ने पिछले हफ्ते भी धमकी दी थी
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत में आयात शुल्क बहुत ज्यादा है| अमेरिका से जाने वाली एक बाइक पर भारत 100% टैरिफ वसूलता है जबकि वहां से आने वाले इसी तरह के सामान पर अमेरिका कोई टैक्स नहीं लेता| उन्होंने कहा कि हम भी भारतीय आयात पर बराबर टैरिफ लगाएंगे|
तुर्की के लिए अमेरिका ने दलील दी है कि जीएसपी में शामिल होने के बाद करीब साढ़े चार दशक में उसकी (तुर्की) अर्थव्यवस्था में काफी बढ़ोतरी हुई है। वहां गरीबी कम हुई है और सकल राष्ट्रीय आय (जीएसपी) भी बढ़ी है।