
देश में ग्रामीण बच्चों और माँ की देखभाल के लिए बनाया गया आंगनबाड़ी केंद्र से एक बड़ा मामला सामने आया है| महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने गुरुवार को राष्ट्रीय पोषण परिषद् की बैठक में एक रिपोर्ट पेश की जिसमें उत्तरप्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में 14 लाख फर्जी बच्चे पाए गए|
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तरप्रदेश में चल रही 1.88 लाख आंगनवाड़ियों में करीब 14.57 लाख फर्जी लाभार्थी दर्ज थे| एक प्रकार के ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र, आंगनवाड़ी की स्थापना सरकार द्वारा छह साल तक की उम्र के अल्प पोषित और सही से विकास नहीं कर पा रहे बच्चों की सहायता के लिए किया गया था|
आंकड़ों के मुताबिक देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में एक करोड़ आठ लाख बच्चे पंजीकृत हैं| फरवरी 2018 तक इन केंद्रों को 2,126 करोड़ रुपए आवंटित किए गए| प्रत्येक बच्चे के भोजन के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को प्रतिदिन आठ रुपए मिलते हैं इसमें केंद्र सरकार 4.80 रुपए और राज्य सरकार 3.20 रुपए का योगदान देती है|
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फर्जी लिस्ट से करोड़ों की घपलेबाजी
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के 1.88 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 14.57 लाख लाभार्थी फर्जी पाए गए हैं| फर्जी बच्चों की पहचान हो जाने से हर महीने करीब 25 करोड़ रुपए बचाए जा सकेंगे|
अधिकारी के मुताबिक देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में फर्जी बच्चों की पहचान और उनके नाम हटाने की प्रक्रिया जुलाई से चल रही है| जुलाई में असम सरकार में बच्चों के भौतिक पहचान के दौरान 14 लाख लाभार्थी फर्जी पाए गए थे|
एक अन्य महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने कहा कि देश में बच्चों की कुल जनसंख्या का करीब 39 फीसद उत्तर प्रदेश में रहता है इसलिए राज्य में बच्चों की संख्या ज्यादा है| देश भर की आंगनवाड़ियों में पंजीकृत फर्जी लाभार्थियों की पहचान और उन्हें सूची से हटाया जाना एक ‘अनवरत प्रक्रिया’ है|
भोजन वितरण में खामियों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सभी राज्य सरकारों को बच्चों का सत्यापन कराने का निर्देश दिया था ताकि असली जरूरतमंद बच्चों को लाभ मिल सके| सितंबर में मेनका ने बताया था कि लगभग एक करोड़ फर्जी लाभार्थी पाए गए थे जिनके पंजीकरण को रद्द कर दिया गया है|

