पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पर्दाफाश
विवेक तिवारी की हत्या करने का मुख्य आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी ने बयान दिया था कि उसने आत्मरक्षा में गोली चलायी थी। पर, उसके झूठ का पर्दाफाश विवेक तिवारी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुल गई। डॉक्टरों के मुताबिक विवेक की ठुड्डी के पास लगी गोली ऊपर से नीचे की ओर जाकर गले के पास फंसी थी। इससे माना जा रहा है कि प्रशांत ने बोनट पर चढ़कर गोली मारी। पहले दिन उसने बयान दिया था कि विवेक उसकी बाइक पर अपनी एसयूवी दो बार चढ़ाने की कोशिश की थी। इस दौरान ही उसने नीचे गिरी हालत में ही उस पर गोली चला दी थी। पोस्टमार्टम करने के बाद डॉक्टर जितेन्द्र श्रीवास्तव और प्रवीण शर्मा ने रिपोर्ट में लिखा है कि विवेक के मुंह से 3.5 सेमी. नीचे ठुड्डी के बांयी तरफ गोली लगी है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि गोली सिर के नीचे गले की तरफ फंसी थी। एक्सरे कराने पर दिखा कि गले के बांयी तरफ 11 सेमी. नीचे लगी है।
बचाए जा सकते थे विवेक
विवेक की दोस्त और हादसे की चश्मदीद गवाह सना खान ने बताया कि विवेक अस्पताल पहुंचने तक जिंदा थे। सना ने कहा, हादसे के बाद मैं सड़क पर खड़ी होकर मदद के लिए चिखती रही, लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं रुका। करीब 15 मिनट बाद पुलिस की एक जीप आई। पुलिस कर्मियों ने एम्बुलेंस के लिए फोन किया और इंतजार करने लगे। एम्बुलेंस नहीं पुहंची। उसने पुलिस से मिन्नत की। पुलिस वालों ने बेहोश विवेक को जीप में लिटाया और उन्हें लोहिया अस्पताल ले गए। विवेक को अस्पताल ले जाने में 30-45 मिनट का समय लग गया था। अस्पताल पहुंचने तक विवेक जीवित था। 10 मिनट बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सना खान का खुलासा
विवेक तिवारी की हत्या की चश्मदीद गवाह सना ने कई सारे खुलासे किए हैं। सना ने कहा- “मैं सोच भी नहीं सकती थी कि पुलिस ऐसी हो सकती है। खाकी वर्दी पहने सिपाहियों ने हमें अपराधियों की तरह घेर लिया था। आरोप लगाते हुए अभद्रता की थी। इससे घबराए विवेक सर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी थी। उसके बाद जो हुआ वह मंजर अभी भी मेरी आंखों के सामने घूम रहा है।” मीडिया से मुखातिब हुई घटना की चश्मदीद गवाह सना ने पुलिस की क्रूरता की कहानी बयां की। इससे पहले पुलिस ने उसे नजरबंद कर रखा था। सना ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि घटना के बाद हत्यारोपी सिपाही प्रशांत चौधरी की पत्नी कांस्टेबल राखी मलिक ने उसे गोमतीनगर थाने में धमकाया था।
SIT टीम ने की खानापूर्ति, महज 17 मिनट में निपटा दिया री-क्रिएशन
बेलगाम सिपाहियों की गोली का शिकार हुए विवेक तिवारी को क्या न्याय मिल पाएगा? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि इस हत्याकांड की जांच में पुलिस शुरू से लापरवाही बरत रही है। वारदात के बाद पुलिस ने घटनास्थल को सील नहीं किया था और 36 घंटे बाद घटनास्थल का निरीक्षण करके सबूत जुटाए थे।
चश्मदीद सना की मौजूदगी में महज 17 मिनट में री-क्रिएशन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। जबकि नाट्य रूपांतरण के दौरान हर पहलू की बारीकी से पड़ताल की जाती है। और तो और सना को दूसरे स्पॉट (जहां गाड़ी टकराई थी) पर महज चंद सेकेंड के लिए ले जाया गया।
घटना के वक्त सना ड्राइविंग सीट के बगल वाली सीट पर बैठी थी। लेकिन, नाट्य रूपांतरण के दौरान उसे एक बार भी गाड़ी के अंदर नहीं बैठाया गया। जबकि सना को गाड़ी के अंदर बैठाकर गोली लगने और उसके बाद के हालात को बेहतर ढंग से समझा जा सकता था। अगर सना गाड़ी के अंदर बैठकर तथ्यों को बताती तो सिपाही के खड़े होने की लोकेशन और पिस्टल तानने की पोजिशन ज्यादा सटीक होती।
आरोपी सिपाही ने 12 फुट की दूरी से मारी थी गोली
सना के बयान के आधार पर सिपाही बलबीर यादव को पिस्टल थमाकर गाड़ी के सामने खड़ा किया गया। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने गोली चलाने वाले सिपाही की पिस्टल से गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठे शख्स तक की दूरी नापी। अधिकारियों के मुताबिक यह दूरी 12 से 13 फुट के करीब आ रही है। इस बीच सना ने बताया कि आरोपी सिपाही प्रशांत ने दोनों हाथों से पिस्टल पकड़ रखी थी।

