अरुणाचल प्रदेश में स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र (पीआरसी) को लेकर मुद्दा गरमाता जा रहा है| गुरुवार से शुरू हुई यह हिंसा अब विकराल रूप लेते जा रहा है| इसके चलते अरुणाचल के उप मुख्यमंत्री चौना मैन के घर पर जमकर पथराव हुआ| फिर इसे आग के हवाले कर दिया गया| राज्य में बढ़ते विरोध प्रदर्शन को देखते हुए ईटानगर और नाहरलागुन में इंटरनेट सेवा बंद दी गई| वहीँ, जिलों में 144 धरा लागू कर दी गई है|
बता दें कि रविवार को मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने के दौरान हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य घायल हो गए थे.
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क्या है पीआरसी?
पीआरसी एक ऐसा वैध दस्तावेज होता है जो भारत के नागरिक हों और जिनके पास देश में निवास के प्रमाण हों| इस सर्टीफिकेट को आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र माना जाता है| अरुणाचल प्रदेश में सरकार नामसाई और चांगलांग जिलों में 6 आदिवासी समुदायों को स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने को लेकर विचार कर रही थी| हालांकि ये सभी छह समुदाय गैर अरुणाचली हैं|
क्या है मामला?
राज्य के कई समुदायों के संगठन राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर आक्रोश है| स्थानीय लोगों को लगता है कि इनको स्थायी निवास प्रमाण-पत्र मिलने से उनके अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचेगा| इसीलिए इसे लागू किए जाने का विरोध हो रहा है| इस प्रस्ताव को राज्य की विधानसभा में इस शनिवार को पेश किया जाने वाला था। पर कई संगठनों के आंदोलन के बाद इसे पेश नहीं किया जा सका। स्पीकर ने विधानसभा का सत्र भंग कर दिया| बता दें कि संयुक्त उच्च अधिकार समिति (जेएचपीसी) ने उन छह समुदायों को पीआरसी देने की सिफारिश की थी जो अरुणाचल प्रदेश के नागरिक नहीं है| इस प्रस्ताव को लेकर कई समुदायों और और छात्रों के बीच असंतोष पैदा हो गया है|
यह विरोध प्रायोजित है: मुख्यमंत्री
इस मामले पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि इस मामले को विस्तृत जांच की आवशयकता है जिसके लिए मैंने निर्देश दिया है| उन्होंने कहा कि पीआरसी पर सरकार का रुख स्पष्ट है, इसके बावजूद हिंसा की घटनाएं हुई है| इस मामले की कमिश्नर स्तर की जांच की जायेगी| समिति का गठन कर दिया गया है| आगे उन्होंने कहा, ‘मैं अरुणाचल प्रदेश के लोगों को आश्वस्त करना चाहूंगा कि सरकार इस मुद्दे को भविष्य में भी नहीं उठाएगी, यह साफ संदेश है|’
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पेमा खांडू ने कहा, ’22 फरवरी की रात को मैंने मीडिया तथा सोशल मीडिया के जरिये साफ किया था कि सरकार इस मुद्दे पर आगे चर्चा नहीं करेगी, आज भी मुख्य सचिव की मार्फत एक आदेश जारी किया गया है कि हम पीआरसी मामले पर आगे कार्यवाही नहीं करेंगे।’
अरुणाचल प्रदेश के एक शांतिपूर्ण राज्य होने का दावा करते हुए खांडू ने आरोप लगाया कि यह विरोध प्रायोजित है| उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस घटना के पीछे कुछ लोगों का हाथ है. अन्यथा अरुणाचल प्रदेश एक शांतिपूर्ण राज्य है|’
अरुणाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष तापिर गाव ने आरोप लगाया कि राज्य में भाजपा सरकार को अस्थिर करने के लिए यह हिंसा कांग्रेस द्वारा कराई गई| उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह हिंसा राजनीतिक तौर पर कांग्रेस द्वारा समर्थित थी| सरकार पहले ही सिफारिशों को विधानसभा में नहीं रखने और उस पर चर्चा नहीं करने पर सहमत हो चुकी है| पिछले कुछ दिनों से गुंडे ईटानगर में इकट्ठे हो रहे थे|’
केंद्र सरकार की मंशा
इस मामले पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ नहीं ने राज्य के लोगों से शांति और सदभाव बनाए रखने की अपील की है| केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजु का कहना है कि राज्य सरकार पीआरसी जैसा कोई बिल नहीं लाने जा रही है बस केवल मकसद ज्वाइंट हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को पेश करने का था| उनका कहना है कि कांग्रेस भी पीआरसी लाना चाहती थी| इस कमेटी की प्रमुख नबम रेबिया हैं, जो राज्य सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर हैं|