बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह मामले में अब नया मोड़ आ गया है। मामले को देख रही विशेष पॉक्सो कोर्ट ने सीबीआई को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। नीतीश कुमार के साथ ही मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह और समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है।कोर्ट ने एक आरोपी की अर्जी पर शुक्रवार को कहा कि बच्चियों के शोषण के मामले में मुख्यमंत्री और अफसरों की भूमिका की जांच होनी चाहिए। अदालत ने सीबीआई एसपी (पटना) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है।
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गिरफ्तार डॉक्टर ने की थी सीबीआई जांच की मांग
बता दें कि इस मामले में गिरफ्तार आरोपी डॉ अश्विनी ने अपने वकील के जरिए शेल्टर होम के संचालन में सीएम नीतीश कुमार की भूमिका की जांच की मांग करते हुए कोर्ट में अर्जी दी थी। अश्विनी पर नाबालिग लड़कियों को ड्रग्स का इंजेक्शन देने का आरोप है । गिरफ्तारी के बाद अश्विनी ने मुंख्यमंत्री समेत दोनों अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की थी। इसके साथ-साथ कथित तौर पर यह भी कहा गया है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद भी आश्रय गृहों फंडिंग जारी की गई थी।
जांच में शेल्टर होम को क्लीन चिट मिलती थी
आरोपी ने याचिका में कहा है कि 2013 से ही शेल्टर होम को नियमित भुगतान किया जाता रहा था। मिलीभगत और प्रशासनिक शह के बगैर शेल्टर होम में शोषण की घटना संभव नहीं थी। रूटीन जांच में शेल्टर होम के संचालन के मामले में अधिकारी क्लीन चिट देते थे।
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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला क्या है?
पिछले साल मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण की बात सामने आई थी। 28 मई, 2018 को एफआईआर दर्ज हुई। 31 मई को शेल्टर होम से 46 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया। इस मामले में शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर, पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री मंजू ठाकुर समेत 20 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए केस पटना से दिल्ली के साकेत पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। यहां सुनवाई अगले हफ्ते शुरू होगी।