मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवायी हुई| बिहार शेल्टर होम केस से जुड़े सभी 17 मामलों को सीबीआई के हवाले कर दिया है| सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई करते हुए कहा कि बिहार पुलिस अपना काम नहीं कर रही है| कोर्ट ने बिहार सरकार की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें उसने जवाब दाखिल करने लिए और समय की मांग की थी| सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई सभी मामलों की जांच के लिए तैयार है| इसलिए अब सीबीआई ही शेल्टर होम से जुड़े सभी मामलों की जांच करेगी| राज्य में 17 आश्रय गृहों में गंभीर किस्म के आरोप लगे हैं| इसके साथ ही बुधवार को उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप सीबीआई ने आज कोर्ट में संशोधित एफआइआर की कॉपी पेश की|
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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में बिहार सरकार ने कहा कि आज आदेश जारी मत कीजिये, हमें एक मौका दीजिए| हमें एक हफ्ते का वक्त दिया जाए| लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अपनी डयूटी सही ढंग से नहीं निभाई, इसलिए मामले की जांच सीबीआई को देने की नौबत आई| साथ ही कोर्ट ने कहा कि जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी का तबादला बिना कोर्ट की इज़ाज़त न हो|
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 31 जनवरी तक स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा है| वहीं, सीबीआई ने बताया कि मुजफ्फरपुर मामले में सात दिसंबर को चार्जशीट दाखिल करेंगे| सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को शेल्टर होम की जांच करने वाली सीबीआई टीम को तमाम सहायता मुहैया कराने के निर्देश दिए| कोर्ट ने कहा कि TISS की रिपोर्ट में उठाए गए सभी सवालों की जांच होनी चाहिए| सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि सीबीआई निदेशक फिलहाल जांच करने की बात नहीं कह सकते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पॉलिसी फैसले न लेने के आदेश दिए हैं| लेकिन कोर्ट ने कहा कि किसी मामले में जांच करना पॉलिसी फैसलों में नहीं आता| निदेशक से बात करो और पांच मिनट में बताओ|
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बालिका गृह रेपकांड पर सुवनाई करते हुए बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी| इस केस की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट बिहार के मुख्य सचिव पहुंचे थे| कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा, “आपने वक्त पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की? जांच कैसे कर रहे हैं? देरी से एफआईआर दर्ज करने का मतलब क्या रह जाता है? रिपोर्ट कहती है कि शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म हुआ लेकिन पुलिस ने धारा-377 के तहत मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया? ये बड़ा अमानवीय है बेहद शर्मनाक है”|
सुप्रीम कोर्ट के जज ने आगे कहा “आपने एफआईआर में हल्की धाराएं जोड़ी हैं| आईपीसी की धारा-377 के तहत भी मुकदमा होना चाहिए| 110 में से 17 शेल्टर होम में रेप की घटनाएं हुईं| क्या सरकार की नजर में वो देश के बच्चे नहीं?’

