
मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए पहली बार तीन लाख करोड़ से ज्यादा का प्रावधान किया। इसी तरह रेलवे के विकास कार्यों के लिए सबसे ज्यादा 1.58 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। पिछले बजट में यह रकम 1.48 लाख करोड़ थी। रेल किराये में कोई वृद्धि नहीं की गई। सरकार ने इस बार कुल 27.84 लाख करोड़ का बजट पेश किया है।
वित्त मंत्री पियूष गोयल ने बजट भाषण में कहा कि बीते तीन सालों में ओआरओपी के लिए 35 हजार करोड़ रुपए दिए गए। 2019-20 में रेलवे के विकास कार्यों के लिए 1.58 लाख करोड़ का प्रावधान सरकार ने किया है। पिछले साल यह रकम 1.48 लाख करोड़ रुपए थी।
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गोयल ने कहा, ”पिछला साल रेलवे से लिए सबसे सुरक्षित रहा लेकिन आंकड़े कुछ और ही बताते है| पिछले चार सालों की बात करें तो साढ़े तीन सौ अधिक छोटे-बड़े हादसे हो चुके हैं| छोटे हादसे का आशय यहां मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर हुईं ऐसी छोटी दुर्घटनाओं से है| जिसमें एक या दो लोगों की जान गई |
2017 में समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट में रेल मंत्रालय में दर्ज हादसों के आंकड़े का ब्यौरा दिया गया है| आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में 135 हादसे हुये और 2015-16 में घटकर 107 रह गये| 2016-17 में रेल हादसों का आंकड़ा घटकर 104 हो गया| हर साल हजारों करोड़ रुपये सिर्फ ट्रेनों की सेफ्टी पर खर्च करने के बावजूद रेलवे जुगाड़ के सहारे चल रहा है। बिहार के हाजीपुर में दुर्घटनाग्रस्त हुए सीमांचल एक्सप्रेस के कारन को लेकर सामने आयी एक मीडिया रिपोर्ट में हैरान करने वाला दवा किया गाय है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीमांचल एक्सप्रेस जब कटिहार पहुंची तो पता चला कि दो बोगी को जोड़ेने वाले लोहे का गुल्ला टूटा हुआ है। रेलवे के कर्मचारियों ने संसाधन के अभाव में जुगाड़ से रेल बोगी को जोड़ दिया। लोहे के गुल्ले की जगह बोगी जोड़ने के लिए रस्सी और लकड़ी के गुल्ले का प्रयोग किया गया था। डिब्बों के आपस में अच्छे से जुड़े नहीं होने के चलते ट्रेन की स्पीड बढ़ते ही वैक्यूम क्रिएट हो गया और इतना बड़ा हादसा हो गया।
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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2016-17 के रेल बजट में दुर्घटनाओं को रोकने के लिये ‘मिशन जीरो एक्सीडेंट’ के नाम से विशेष अभियान शुरू किया था| त्वरित पटरी नवीकरण, अल्ट्रासोनिक रेल पहचान प्रणाली और प्राथमिकता के आधार पर मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को खत्म किए जाने जैसे सुरक्षा उपायों को रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिये अपनाया गया है| अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 1,503 मानवरहित समपार क्रॉसिंग को खत्म किया गया जबकि 484 मानवयुक्त समपार फाटकों को उपरिगामी सेतु या भूमिगत सेतु बनाकर खत्म किया गया जो अब तक एक रिकॉर्ड है|
मोदी सरकार के कार्यकाल में ये रहीं बड़ी दुर्घटनाए। 20 नवंबर 2016 को उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास पुखरायां में बड़ा रेल हादसा हुआ| इसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे| 22 जनवरी 2017 को हीराखंड एक्सप्रेस आंध्र प्रदेश के विजयानगरम जिले में पटरी से उतर गई थी. इस दुर्घटना में करीब 39 यात्रियों की मौत हो गई थी और 36 लोग घायल हुए थे|
5 अगस्त 2015 में मध्य प्रदेश के हरदा के करीब एक ही जगह पर 10 मिनट के अंदर दो ट्रेन हादसे हुए| इटारसी-मुंबई रेलवे ट्रैक पर दो ट्रेनें मुंबई-वाराणसी कामायनी एक्सप्रेस और पटना-मुंबई जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गईं| माचक नदी पर रेल पटरी धंसने की वजह से हरदा में यह हादसा हुआ और 31 लोगों की जान चली गई| 20 मार्च 2015 को देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी| इस हादसे में 34 लोग मारे गए थे| यह हादसा रायबरेली के बछरावां रेलवे स्टेशन के पास हुई हुआ था|
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25 मई 2015 को कौशांबी के सिराथू रेलवे स्टेशन के पास मूरी एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी| हादसे में 25 यात्री मारे गए थे, जबकि 300 से ज्यादा घायल हुए थे| 19 अगस्त 2017 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई और 156 से ज्यादा लोग घायल हो गए| 26 मई, 2014 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में चुरेन रेलवे स्टेशन के पास गोरखधाम एक्सप्रेस ने एक मालगाड़ी को उसी ट्रैक पर टक्कर मार दी| इस हादसे में 22 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी| 25 जुलाई 2016 को भदोही इलाके में मडुआडीह-इलाहाबाद पैसेंजर ट्रेन मिनी स्कूल वैन टकरा गई| जिसमें 10 स्कूली बच्चों की मौत हो गई है। इस वैन में 19 बच्चे सवार थे|
10 अक्टूबर 2018 को रायबरेली के हरचंदपुर रेलवे स्टेशन के पास 14003 न्यू फरक्का एक्सप्रेस ट्रेन (New Farakka Express) दुर्घटनाग्रस्त हो गई| मालदा टाउन से नयी दिल्ली जा रही इस ट्रेन के इंजन सहित नौ डिब्बे पटरी से उतर गए|इस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई थी| 17 मार्च 2017 को बंगलुरु के चित्रादुर्गा जिले में एक एंबुलेंस की ट्रेन से भिड़ंत होने के चलते चार महिलाओं की मौत हो गई|
भारतीय रेलवे ने मिशन-जीरो एक्सीडेंट के तहत लंबे रेलवे ट्रैक पर आधुनिक सिग्नल प्रणाली स्थापित करने का प्रस्ताव था जिसके लिए करीब 450 किलोमीटर से अधिक रेलवे ट्रैक पर एकीकृत सिग्नल के लिए 1200 करोड़ रुपये की लागत आंवटित की गई थी| प्रभु ने कहा था कि इंडियन रेलवे में भी इसी तरह से जीरो एक्सिडेंट मिशन शुरू करने की जरूरत है ताकि अगर कोई कर्मचारी या अधिकारी गलती करे तो भी एक्सिडेंट न हो। बावजूद इसके एक्सीडेंट्स की एक लम्बी लिस्ट हमारे सामने है.