सरकार ने वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस सीमा में 5.5% से अधिक की वृद्धि की है तथा अगले वित्त वर्ष में बाजार से शुद्ध रूप से 4.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाएगी |
मुख्य बिंदु:
- सरकार बाजार से 2020-21 में 4.2 लाख करोड़ रुपये अधिक उधार लेगी |
- सरकार को उम्मीद है कि बजट लक्ष्य के लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से राजस्व कम हो जाएगा |
- 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत के बजट लक्ष्य के मुकाबले 5.5 प्रतिशत होने की संभावना है |
- 10% के बजट लक्ष्य के मुकाबले नाममात्र जीडीपी की वृद्धि 5-6 प्रतिशत होने की संभावना है |
- उधार सीमा में वृद्धि किसी भी प्रोत्साहन पैकेज के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए |
- किसी भी प्रोत्साहन पैकेज के लिए सरकार को अतिरिक्त उधारी के लिए जाना होगा |
कोरोना वायरस संक्रमण से मुकाबले के लिए सरकार को अधिक धन चाहिए। दूसरी ओर देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कर संग्रह में जबरदस्त कमी आई है। इसी को देखते हुए सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान बाजार से उधार उठाने की सीमा में 4.2 लाख करोड़ रुपये की भारी वृद्धि का फैसला किया है। सरकार ने बाजार से कर्ज लेने की सीमा में 5.5 फीसद से अधिक की बढ़ोत्तरी की है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार 12 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज बाजार से ले सकती है। केंद्र सरकार के इस कदम का राजकोषीय घाटा पर उल्लेखनीय प्रभाव देखने को मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए बाजार से उधार उठाने की सीमा 7.80 लाख करोड़ रुपये तय की थी। वित्त वर्ष 2019-20 में यह सीमा 7.1 लाख करोड़ रुपये पर थी।
अगले वित्त वर्ष में सरकार का सकल कर्ज 7.8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है | चालू वित्त वर्ष में सकल कर्ज 7.1 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है | अगले वित्त वर्ष में पुराने कर्ज का भुगतान 2.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है | वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2019-20 के लिए सरकार बाजार से शुद्ध रुप से अनुमानित 4.99 लाख करोड़ रुपये का कर्ज उठाएगी | अगले वित्त वर्ष में शुद्ध कर्ज अनुमानित 4.2 लाख करोड़ रुपये रहेगा |
वित्त मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है, ”वित्त वर्ष 2020-21 में सकल बाजार उधारी 12 लाख करोड़ रुपये पर रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में इसे 7.80 लाख करोड़ रुपये पर रखा गया था।” सीतारमण द्वारा एक फरवरी, 2020 को पेश केंद्रीय बजट में चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा को जीडीपी के 3.5 फीसद पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था। इस समय उधारी की सीमा में वृद्धि और राजस्व में भारी कमी को देखते हुए इस बात का आकलन मुश्किल लग रहा है कि राजकोषीय घाटे में कितनी अधिक वृद्धि होगी।
