
देश में एफआईआर (FIR) को पेपरलेस बनाने के लिए ई-गर्वनेस के सहयोग से ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम’ (सीसीटीएनएस) की शुरुआत की गई है। इसके तहत देशभर में सभी पुलिस स्टेशनों एवं उच्चतर पुलिस अधिकारियों के अतिरिक्त 6000 कार्यालयों को जोड़ने पर विचार किया गया है। अब इस स्कीम के ज़रिए पुलिस थानों, जिलों, राज्यप मुख्यायलयों और अन्यज़ एजेंसियों जिनमें भारत सरकार स्तएर की एजेंसियां भी शामिल हैं, के बीच अपराध संबंधी सूचना साझा की जा सकेगी। इस सेवा से लोगों को थाने के चक्कर काटने से छुटकारा मिल जाएगा।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के डिप्टी डायरेक्टर प्रशुन गुप्ता ने कहा कि सीसीटीएनएस पूरे राष्ट्रीय अपराध और आपराधिक डेटाबेस पर अखिल भारतीय खोज की सुविधा प्रदान कर रहा है जो पूरे देश में जांच अधिकारियों के लिए सुलभ है। उन्होंने कहा कि सीसीटीएनएस ऑनलाइन सेवाओं की सुविधा प्रदान कर रहा है जैसे कि पासपोर्ट जारी करने, ड्राइवर की भर्ती, किराएदार और घरेलू सहायता, कार चोरी जैसी शिकायतों के पंजीकरण के अलावा एफआईआर दर्ज की जाएगी|
मालुम हो सीसीटीएनएस जिसे नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने 2009 में संकल्पित किया था जिसके तहत देश के 14,710 पुलिस स्टेशनों और देश में 6,000 उच्च कार्यालयों में लागू किया गया है।
Related Articles:
- गुरुग्राम शूटआउट : दिनदहाड़े जज की पत्नी और बेटे को मारी गोली, हत्यारोपी गनर बर्खास्त
- मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: ED ने मनी लॉडरिंग अधिनियम के तहत किया मामला दर्ज
गुप्ता ने कहा कि कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण बिहार में 894 पुलिस स्टेशनों और शेष देश में 51 पुलिस स्टेशनों में 2,000 करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी परियोजना लागू नहीं की जा सकती है क्यूंकि देश में 15,640 पुलिस स्टेशन हैं।
उन्होंने बताया कि सीसीटीएनएस डाटाबेस केंद्रीय जांच ब्यूरो, खुफिया ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय और नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो के लिए सुलभ है। इसमें सभी पुलिस स्टेशनों में एफआईआर पंजीकरण, जांच और आरोप पत्र से संबंधित डिजिटलीकृत डेटा भी होगा| सभी घटकों के साथ परियोजना के पूर्ण कार्यान्वयन से केंद्रीय नागरिक पोर्टल का नेतृत्व राज्य स्तर के नागरिक पोर्टल के साथ होगा जो कई नागरिक अनुकूल सेवाएं प्रदान करेगा।
इस परियोजना की जानकारी देते हुए गुप्ता ने कहा कि सीसीएनटीएस के आधार पर देश में अब तक तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में ई-एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दिया गया है और जल्द ही इसके लिए एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया जाएगा ताकि देशभर के नागरिक इस सेवा से जुड़ सकें|
ऐसे काम करेगा यह सॉफ्टवेयर
सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत हर छोटे बडे अपराधियों के डाटा फोटो समेत अपलोड किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर के पूरे देश के थानों से जोड़ा जाएगा। इसका सबसे अहम फायदा पुलिस को यह होगा कि पूरे देश के आरोपियों की जन्म कुंडली इस पर होगी। अपराधी वारदात के बाद किसी भी राज्य में पनाह लेने के बाद भी सुरक्षित नहीं रहेंगे। उनके नाम की जानकारी इस सॉफ्टवेयर पर डालते ही सारी इंफॉरमेशन आन एयर हो जाएगी।

