15 जून (सोमवार) की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी मे भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हिंसक झड़प हुई थी। इस हिंसक झड़प मे भारत के 20 जवान शहीद हुए तथा भारत के 78 सैनिक घायल भी हुए,जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। चीन के सैनिकों के मारे जाने और घायल होने की खबरें आई थीं, लेकिन संख्या का खुलासा नहीं हुआ था।
घटना के तीन दिन बाद, अब ये बात पता चला है की लद्दाख सीमा पर चीन के साथ हिंसक झड़प के दौरान चीन ने भारत के 2 मेजर जनरल समेत 10 सैनिकों को बंदी बनाया था। उन्हें 18 जून को रिहा कर दिया गया है ।
3 दिनों बाद छोड़ा
मेजर जनरल स्तर की बातचीत के बाद चीन द्वारा हिरासत में लिए गए भारत के 10 सैनिकों को रिहा कर दिया गया है। ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के अनुसार, इन सैनिकों की रिहाई 18 जून, गुरुवार की शाम 5:30 बजे हुई है। इनमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल और तीन मेजर भी शामिल थे। सैनिकों की रिहाई के बाद उन्हे मेडिकल के लिए भेज दिया गया।
- डी. एम.ई मीडिया स्कूल करेगा दुनिया के पहले 10-दिवसीय डिजिटल लाइव अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना गया भारत : 192 मे से 184 वोट मिले
वैसे आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई बात नहीं नहीं कही गई है।
सेना ने कहा था कोई लापता नहीं
इससे पहले भारतीय सेना और विदेश मंत्रलाय की तरफ से गुरुवार को जारी बयान मे कहा गया था कि “यह स्पष्ट किया जाता है कि इस एक्शन में भारत का कोई जवान गायब नहीं है। “गालवान घाटी के हिंसक संघर्ष में भारत के 20 जवानों को जान गंवानी पड़ी थी जबकि खबरों के मुताबिक चीन के करीब 45 सैनिकों की मौत हुई है।
भारत और चीन के बीच तीन दौर की बातचीत
“द इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार मंगलवार और गुरुवार के बीच भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में पेट्रोल पॉइंट 14 के पास गलवान विवाद को सुलझाने के लिए मेजर जनरल लेवल की तीन दौर की बातचीत हुई। इस बातचीत में कई अहम फैसले लिए गए। उनमें से ही एक 10 सैनिकों की रिहाई भी थी।
कारू स्थित मुख्यालय 3 इन्फैंट्री डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत बापट और उनके चीनी समकक्ष ने गुरुवार को तीसरी बार इस मामले को लेकर मुलाकात की थी। ये बैठकें स्थिति को कम करने और विवादित सीमा पर डी-एस्क्लेशन की प्रक्रिया रही सैन्य व्यस्तताओं का हिस्सा थीं।
बातचीत में नहीं बनी सेनाएं पीछे हटाने पर सहमति
भारत और चीन के बीच गुरूवार को हुई मेजर जनरल स्तर की बातचीत में अपनी-अपनी सेनाएं पीछे हटाने पर कोई रजामंदी नहीं बनी, हालांकि आगे बातचीत करते रहने पर आम सहमति बनी है। इससे पहले बुधवार को हुई बातचीत भी बेनतीजा रही थी।
जिसके कारण अभी पेंगोंग झील और गलवान घाटी में स्थिति सबसे अधिक तनावपूर्ण है।
