
पूर्व दिल्ली आधिकारिको का कहना हैं कि “वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्टेडियमस को कोविड देखभाल केंद्र में परिवर्तित करने की आवश्यकता नहीं है। स्टेडियम कोविड देखभाल केंद्रों में परिवर्तित किए जा सकते है लेकिन फिलहाल यह कदम उठाना व्यर्थ होगा क्योंकि काफी लोग खुदको होम आइसोलेट करके इस वायरस से रिकवर हो रहे है।“
यह छवि उत्तर पश्चिम जिले के रेलवे कोच की है जिन्हें कोविड-19 रोगियों के लिए पृथक-वास वार्ड में बदला गया है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के रिकवरी दर में 80 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी गई है। जुलाई में पहली बार लगातार दो दिनों से रोज़ाना केसों की संख्या 2000 से कम पाई गई है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए अधिकारियों ने स्टेडियम को कोविड देखभाल केंद्रों में परिवर्तित करने के फैसले को होल्ड पर करने का फैसला लिया है।
दिल्ली के मुख्य मंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल जी का कहना हैं कि “पल्स ऑक्सीमीटर्स ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजो को होम आइसोलेशन में रहते हुए ठीक होने में काफी सहायता की है।“ केजरीवाल जी ने पल्स ऑक्सीमीटर्स को “सुरक्षा कवच” का नाम दिया है। वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार 89,968 मरीज़ ठीक हो चुके है और केवल 19,155 केस एक्टिव पाए गए है।
अन्य जिलों द्वारा बनाए गए पृथक– वास वार्ड
दिल्ली सरकार ने सभी जिला मजिस्ट्रेट से लिखित रूप में कागज़ो की मांग की है जिनमें उन्हें कोरोना से बचाव के लिए अपने द्वारा लिए गए फैसलों का लिखित रूप में वार्ड न करना है। जैसे कि दक्षिण दिल्ली जिला प्रशासन ने राधा स्वामी ब्यास में 10,000 बिस्तरों के साथ दुनिया का सबसे विशाल सरदार पटेल कोविड देखभाल केंद्र खोला। इसी तरह, पूर्वी दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल गांव में 500 बिस्तरों वाला कोविड देखभाल केंद्र बनाया गया। इसके अलावा, उत्तर पश्चिम जिले में रेलवे कोच को कोविड-19 रोगियों के लिए पृथक-वास वार्ड में बदला गया है।
पूर्वी दिल्ली जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, “मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्टेडियम को कोविड-19 देखभाल सुविधाओं में बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम इन्हें (स्टेडियमों) ऐसी सुविधा के लिए उपयोग कर सकते हैं, लेकिन यह अनावश्यक कदम होगा क्योंकि बहुत से लोग घर में पृथक हैं और वायरस से उबर रहे हैं।”
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पल्स ऑक्सीमीटर एक “सुरक्षा कवच”
केजरीवाल ने ट्वीट में लिखा, ‘‘दिल्ली पल्स ऑक्सीमीटर नामक सुरक्षा कवच के माध्यम से कोरोना वायरस के मरीजों की मौत को कम कर पायी है. यदि मरीज अपने ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट पाते हैं तो वे मदद के लिए हमसे संपर्क करते हैं।हम तत्काल उनके घर ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर भेजते है या उन्हें अस्पताल में ले आते हैं।’’
पल्स ऑक्सीमीटर रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को मापने वाला उपकरण है। स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के अनुसार कोरोना वायरस के मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसदी या उससे नीचे चला जाता है तो उसे अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है।
कोविड-19 कि रिपोर्ट्स से यह सामने आया है कि जुलाई के पहले सप्ताह में किसी मरीज़ कि मृत्यु नहीं हुई। दूसरा कुल मौते भी बहुत घटी हैं।
