
भारत की सबसे सफलतम एयरलाइंस कंपनियों में से एक इंडिगो के दो सह-संस्थापकों के बीच मतभेद की खबरें आ रहीं हैं। पहले ही उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे विमानन उद्योग के लिए ये बुरी खबर है। माना जा रहा है कि कंपनी में लगभग 37 फीसदी और 38 फीसदी के हिस्सेदार राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने मतभेद ख़त्म करने के लिए कानूनी कंपनियों का मदद लिया है। राहुल भाटिया के अनुसार, राकेश गंगवाल अपनी अप्रवासी टीम के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में लो-कॉस्ट एयरलाइन लाना चाहते हैं। उनका आरोप है कि इसके जरिए राकेश कंपनी पर अधिक से अधिक काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं।
गंगवाल और भाटिया ने इस विवाद को सुलझाने के लिए जेएसए लॉ और खेतान कंपनी की सेवाएं लेना तय किया है। राकेश गंगवाल अमेरिकी नागरिक हैं। वैश्विक उड्डयन उद्योग में उनका अनुभव 30 सालों का है। इंडिगो कंपनी में वह गैर-कार्यकारी निदेशक के पद पर हैं। गंगवाल 1984 से अमेरिका में रह रहे हैं। वहां उन्होंने एयर फ्रांस में बतौर ईवीपी का पद संभाला था। इसके बाद वे अमेरिकी एयरवेज ग्रुप से जुड़े और बाद में अमेरिकी एयरवेज में अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर नवंबर 2001 तक बने रहे।
भाटिया और गंगवाल ने 2003-04 में साथ मिलकर इंडिगो की शुरुआत की थी। बीते दो-तीन सालों तक कंपनी अच्छा काम कर रही थी, लेकिन बाजार में लो-कॉस्ट एयरलाइन आने से उड्डयन उद्योग में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। बाजार में हिस्सेदारी के मामले में अब लो-कॉस्ट एयरलाइन पहले पायदान पर हैं। गंगवाल की विदेशों में विमानन पेशेवरों के साथ अच्छी-खासी पहचान है। विदशी बाजार में लो-कॉस्ट एयरलाइन उतारने के इरादे से उन्होंने अप्रवासियों को इंडिगो से जोड़ना शुरु कर दिया था। इसके चलते कंपनी के अध्यक्ष अदित्य घोष ने पिछले साल इस्तीफ़ा दे दिया था। घोष के बाद कंपनी के मुख्य वाणिज्यिक और नेटवर्क संभालने वाले संजय कुमार ने भी इस्तीफ़ा दे दिया था।
इस साल जनवरी में कंपनी ने रोनेजॉए दत्ता को मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। दत्ता उड्डयन उद्योग के क्षेत्र में तजुर्बेकार हैं। वे 20 सालों तक अमेरिकी एयरवेज के साथ जुड़े रहे हैं। वे अमेरिकी एयरवेज के पुनर्गठन के वक्त सलाहकार थे। वे दो सालों तक एयर सहारा के अध्यक्ष भी थे। इंडिगो के शीर्ष प्रबंधन पद पर कई अप्रवासी हैं। कंपनी में परेशानी तब शुरु हुई जब अप्रवासियों के लिए पुराने कर्मचारियों को हटाया जाने लगा। उस दौरान पहली बार कर्मचारियों ने कंपनी के कामकाजी माहौल को लेकर शिकायत की थी।