जाति से जोड़कर देखना गप्रेस स्वतंत्रता की रक्षक प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया (पीसीआई) ने ‘दलित’ शब्द के प्रतिबन्ध को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है| गुरुवार को प्रेस परिषद् की बैठक में सुचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्देश पर असहमति जताते हुए परिषद् ने कहा कि मीडिया के द्वारा ‘दलित’ शब्द के प्रयोग पर पूर्ण निषेध सलाह नहीं दी जा सकती है क्यूंकि यह अव्यावहारिक है|
बता दें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी चैनलों से आग्रह किया था कि वे अनुसूचित जाति के लोगों का उल्लेख करते हुए ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल न करें|
7 अगस्त को सभी निजी टीवी चैनलों को संबोधित करके लिखे गए पत्र में बॉम्बे हाईकोर्ट के जून के एक दिशा-निर्देश का उल्लेख किया गया था| उस दिशा-निर्देश में मंत्रालय को मीडिया द्वारा ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर एक निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा गया था|
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के परामर्श पत्र में कहा गया था कि मीडिया अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों का जिक्र करते वक्त दलित शब्द के उपयोग से परहेज करे| ऐसा करना माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करना होगा| इसके तहत मीडिया को अंग्रेजी में शिड्यूल कास्ट (अनुसूचित जाति) और दूसरी राष्ट्रीय भाषाओं में इसके उपयुक्त अनुवाद का इस्तेमाल करना चाहिए|
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा इस प्रतिबन्ध को लेकर विवाद खड़ा हो गया था जिसके बाद राजनितिक नेताओं और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बात पर चिंता जताते हुए कहा था कि ‘दलित’ शब्द पर प्रतिबंध लगने से उस समुदाय की स्थितियों में कोई सुधार नहीं होगा| इसके साथ यह भी कहा था कि दलित शब्द पर प्रतिबंध अनुसूचित जाति पर हो रहे उत्पीड़न की रिपोर्टिंग को प्रभावित कर सकता है|
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इस मामले पर प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस (सेवानिवृत्त) सी.के प्रसाद ने ‘दलित’ शब्द के प्रयोग को आवश्यक ठहराते हुए कहा है कि किसी भी मामले में ‘दलित’ शब्द का उपयोग आवश्यक हो सकता है और इसलिए इस पर पूर्ण प्रतिबन्ध संभव नहीं है| उन्होंने कहा कि परिषद ने महसूस किया है कि शब्द का उपयोग मामले की रिपोर्ट पर निर्भर करता है|
उन्होंने एक काल्पनिक उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति को परेशान करने के लिए किसी शब्द का उपयोग किया जा रहा है तब रिपोर्टिंग में शब्द का उपयोग ठीक है| लेकिन यदि कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना में शामिल होता है और फिर उसे एक समाचार रिपोर्ट में दलित के रूप में पहचाना जाता है तब यह उचित नहीं हो सकता है|
उन्होंने कहा कि किसी भी मुद्दे पर सामान्य दिशानिर्देश संभव नहीं हैं| साथ ही किसी भी मामले या घटना को दलित लत है|

