
नोएडा: सूचना, संचार और कृत्रिम नेटवर्क पर दुनिया का पहला 10-दिवसीय डिजिटल लाइव अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ICAN 4 का पांचवा दिन मास्टर क्लास 5 के साथ शुरू हुआ। मास्टर क्लास का विषय ‘विजुअल मीडिया का संग्रह: पूर्वोत्तर भारत की केस स्टडी’ था जिसमें डॉ. अंकुरन दत्ता एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, संचार और पत्रकारिता विभाग, गुवाहाटी विश्वविद्यालय, असम, डॉ अपर्णा शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, विश्व कला और संस्कृति / नृत्य, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स, यूएसए और श्री राजा दास कार्यक्रम अधिकारी, डॉ अनामिका रे मेमोरियल ट्रस्ट, गुवाहाटी ने अपने विचार साझा किये।
डॉ अंबरीष सक्सेना, प्रोफेसर और डीन, डीएमई मीडिया स्कूल ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारतीय कला, संस्कृति और विरासत के संरक्षण के लिए शोधकर्ताओं द्वारा किया जा रहा कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा, “इस तरह के शोधों को बढ़ावा देने की जरूरत है।”
डॉ शर्मा ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) द्वारा आधुनिक और लुप्तप्राय संग्रहीत कार्यक्रम और डिजिटलीकरण की संभावना के बारे में चर्चा की । उनका कहना था कि “यूसीएलए कार्यक्रम मुख्य रूप से 20 वीं शताब्दी के गैर-पश्चिमी दुनिया की अभिलेखीय सामग्री को संरक्षित करता है” और “जब आप 1970 के दशक के एक फोटोग्राफर के साथ काम करते हैं तो आप तस्वीरों और टेक्नोलॉजी के इतिहास का साथ भी अनुभव करते हैं।”
श्री राजा ने एक सर्वेक्षण के माध्यम से फोटोग्राफिक संग्रह की सूची को चरणबद्ध तरीके से इन्वेंट्री बनाने के बारे में बात की। कॉपीराइट मुद्दों पर चर्चा करते हुए श्री राजा ने कहा, “कानूनी उलझनों में फंसे बिना संग्रहीत तस्वीरों के उपयोग के लिए कानूनों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।”
डॉ दत्ता ‘उत्तर पूर्व भारत में दृश्य माध्यम का पुरालेखन’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने दुनिया के सबसे पुराने फोटोग्राफिक स्टूडियो में से एक बॉर्न और शेफर्ड स्टूडियो का हवाला देते हुए अपनी बात की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि “संग्रह के संदर्भ में सामग्री की वैधता अथवा सटीकता सुनिश्चित करने में सावधानी बरतना बेहद अनिवार्य है। तस्वीरों के इस्तेमाल को लेकर डॉ दत्ता ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विस्तृत संदर्भ में हम उन तस्वीरों के इस्तेमाल से कोई गलत व्याख्या न कर रहे हों”।
सत्र के अंत में विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए कुछ प्रश्नों के विस्तार से उत्तर दिए। सुश्री टीनम बोरा, सहायक प्रोफेसर, डीएमई मीडिया स्कूल ने सत्र का संचालन किया। प्रथम वर्ष के छात्र क्षितिज शर्मा ने एंकरिंग की।
डॉ सुस्मिता बाला, प्रमुख और प्रोफेसर, डीएमई मीडिया स्कूल ने यह कहते हुए सत्र का समापन किया कि यह एक अद्भुत मास्टर क्लास थी और सभी ने इस से बहुत कुछ सीखा होगा।
तकनीकी सत्र-4
ICAN 4 में ‘डिजिटल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में शिक्षा’ विषय पर तकनीकी सत्र IV का आयोजन किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ निशा पवार, प्रमुख, पत्रकारिता विभाग, जन संचार और जन संचार के समन्वयक, शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर, महाराष्ट्र ने की। डॉ. शिल्पा स्वीटी, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज, के.आर. मंगलम यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम, हरियाणा और श्री प्रमोद कुमार पांडे, सहायक प्रोफेसर, डीएमई मीडिया स्कूल ने सत्र की सह-अध्यक्षता की।
सत्र के दौरान बोर्ड परीक्षा और इसके निहितार्थ, शिक्षा पर डिजिटल डिवाइड का प्रभाव, शिक्षा पर COVID-19 का प्रभाव और उच्च शिक्षण संस्थानों में नए मीडिया टूल जैसे विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
डॉ अंबरीष सक्सेना ने उद्घाटन भाषण में कहा, “डिजिटल मीडिया ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रभाव डाला है। ICAN-4 में इस विषय पर चर्चा करना अच्छा है”।
डॉ पवार ने शोधपत्र प्रस्तुतियों पर टिप्पणी करते हुए शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों के अछूते पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ऐसे विशिष्ट विषयों पर परिचर्चा आयोजन के लिए ICAN4 की आयोजन समिति को धन्यवाद दिया। डॉ स्वीटी ने भी कई नए विचारों के साथ शोधकर्ताओं को विभिन्न विषयों और बेहतर संभावनाएं तलाशने में मदद की। सत्र के अंत में डॉ सुस्मिता बाला ने अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष को धन्यवाद दिया और लेखकों से शोध के क्षेत्र में निरंतर काम जारी रखने का आग्रह किया।
अंत में, डॉ सुनयन भट्टाचार्जी, स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन (एसओएमसी), एडमास यूनिवर्सिटी, कोलकाता को तकनीकी सत्र -3 में ‘गुरुदत्त के ‘प्यासा’ (1957 में नारीवादी संदेश) : एक विशिष्ट केस स्टडी शीर्षक वाले शोधपत्र प्रस्तुति के लिए सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुतकर्ता के तौर पर सम्मानित किया गया।
मास्टर क्लास 6
‘मीडिया और संचार शिक्षा क्षेत्र में ब्लेंडेड लर्निंग का निष्पादन’ पर मास्टर कक्षा 6 का उद्घाटन करते हुए और प्रो. उज्जवल के चौधरी, प्रो वाइस चांसलर (पीआर एंड मीडिया), एडमास यूनिवर्सिटी, कोलकाता, पश्चिम बंगाल का स्वागत करते हुए, डॉ अंबरीष सक्सेना ने पोस्ट -COVID परिदृश्य में ऑनलाइन शिक्षा संबंधित मुद्दों पर कई प्रश्न उठाये। उन्होंने कहा कि यह बताने की जरूरत नहीं है महामारी के समय में ऑनलाइन शिक्षा न्यू-नार्मल का हिस्सा है। लेकिन महामारी के बाद भी क्या ऑनलाइन शिक्षा जारी रहेगी? या फिर ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा की मिश्रित व्यवस्था होगी? उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है।
यह सही मायने में एक मास्टर क्लास थी जहां कुशल वक्ता प्रो. उज्जवल के. चौधरी ने देश में शिक्षा के भविष्य के पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने कहा, “शिक्षा अब मेंटरिंग और संचार, मीडिया और मनोरंजन पर केंद्रित शिक्षण का रूप ले चुकी है।”
प्रोफेसर चौधरी ने शिक्षक और छात्रों के बीच भविष्य के संबंधों पर विचार रखते हुए कहा कि शिक्षक और छात्र भविष्य में मेंटर और शिक्षार्थी बन जायेंगे । “आज के शिक्षक का अस्तित्व मेंटर में परिवर्तित हो गया है। मेंटर एक मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरक होता है। मेंटर होने के लिए यह अनिवार्य नहीं है की उसे हर विषय पर सब कुछ की जानकारी हो, अपितु जरूरी यह है की उसे हर चीज के बारे में कुछ न कुछ अवश्य पता होना चाहिए।
शिक्षण प्रक्रिया के दौरान शिक्षार्थी की संलग्नता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षण उच्च सामग्री और टेक्नोलॉजी से संचालित होनी चाहिए। विभिन्न तौर तरीकों से शिक्षण प्रक्रिया में सहभागिता को बढाए जाने की आवश्यकता है।
डॉ सुस्मिता बाला ने सत्र का समापन यह कहते हुए किया कि डीएमई में भी हम शिक्षकों से मेंटर बन गए हैं और हम भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए कमर कस रहे हैं।
