
NOIDA: ICAN 4 का नौंवा दिन तकनीकी सत्र VIII के साथ ‘कोविड -19 के चरण में मीडिया नैरेटिव्स और सोशल मीडिया की भूमिका’ विषय के साथ शुरू हुआ। सत्र की अध्यक्षता डॉ तबीना अंजुम, वरिष्ठ पत्रकार ने की और डॉ मनस्वी माहेश्वरी, एसोसिएट प्रोफेसर, डीएमई मीडिया स्कूल, दिल्ली मेट्रोपॉलिटन एजुकेशन ने सत्र की सह-अध्यक्षता की। सत्र के दौरान ‘कोविड -19 का राष्ट्रव्यापी प्रभाव, लॉकडाउन , स्ट्रीट वेंडर्स के जीवन और कमाई पर असर’ और ‘कोविड -19 के दौरान jan धारणा पर मीडिया कवरेज का प्रभाव’ जैसे विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
सम्मेलन के संयोजक डॉ अंबरीष सक्सेना ने अपने सत्र की शुरुआत करते हुए कहा, “हाल में मीडिया और सोशल मीडिया में भारी बदलाव हुए हैं। हम सोशल मीडिया पर अत्यधिक निर्भर हो गए हैं और यह बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि यही सोशल मीडिया फेक न्यूज और गलत सूचना फैलाने का तंत्र भी बन गया है।”
तबीना अंजुम ने शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करते हुए कहा, “कोविड -19 के परिणामस्वरूप लोगों का रुझान ऑफ़लाइन से ऑनलाइन की ओर चला गया है। रिपोर्टिंग करने का अंदाज़ पूरी तरह से बदल गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में मीडिया में काम करने की इच्छा रखने वालों को मेरी सलाह है कि मीडिया में काम करने का अंदाज़ बदल गया है इसीलिए लोगों में स्किल होना अनिवार्य है।
डॉ सुस्मिता बाला, प्रमुख और प्रोफेसर, डीएमई मीडिया स्कूल ने कहा, “आज विभिन्न पेपर प्रस्तुत किए गए, जिसमें कोविड-19 के समय में मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई और मैं उपस्थित सभी शोधकर्ताओं को बधाई देती हूं।”
सत्र के अंत में, मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एमआरआईआईएस), फरीदाबाद, हरियाणा के रिसर्च स्कॉलर मोहम्मद कामिल और डॉ सुमन कुमारी, एसोसिएट प्रोफेसर, एमआरआईआईएस को तकनीकी सत्र 7 के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुतकर्ता घोषित किया गया। उन्होंने ‘कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान चार हिंदी समाचार चैनलों के प्राइम-टाइम समाचारों का तुलनात्मक विश्लेषण’ विषय पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया था।
सत्र में डीएमई के प्रथम वर्ष की श्रिया सिंह और क्षितिज शर्मा ने एंकरिंग की।
Panel Discussion 6
ICAN4 का नौंवा दिन ‘ट्रांसफॉर्मिंग मीडिया इंडस्ट्री लैंडस्केप’ पर पैनल चर्चा 6 के साथ आगे बढ़ा। इस सत्र का संचालन प्रो. किरण बाला, डीन, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, केआर मंगलम यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम द्वारा किया गया। पैनल में विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रो. पी. प्रकाश, कुलपति, के.आर. मंगलम यूनिवर्सिटी मौजूद थे। पैनल चर्चा में डॉ मैथिली गंजू, डीन, एफएमईएच, मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज, फरीदाबाद; डॉ नवनीत आनंद, संस्थापक और निदेशक, ग्रेमैटर्स कम्युनिकेशंस, और डॉ कुलवीन त्रेहन, सहायक प्रोफेसर, जीजीएसआईपी विश्वविद्यालय, दिल्ली विशेषज्ञ के रूप में शामिल थे।
इस सेशन का उद्घाटन करते हुए डॉ अंबरीष सक्सेना ने कहा, “वर्तमान परिदृश्य में टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ रहा है क्योंकि लोगों ने अपने रोज़मर्रा की दिनचर्या में टेक्नोलॉजी को समाहित कर दिया है। मीडिया उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा कई बदलाव आये हैं।
अपने संबोधन में, प्रो. प्रकाश ने कहा, “एआई हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन बैंडविड्थ अभी भी एक मुद्दा है। पत्रकारिता और सोशल मीडिया लोगों को शिक्षित करने की अपनी सीमा को आगे बढ़ा रहा है। इसमें हर वर्ग के लोगों तक पहुंचने की अपार संभावना मौजूद है।”
सत्र का संचालन करते हुए प्रो. किरण बाला ने एआई के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “मानव संचार ने शुरूआती दौर में पत्र लिखने से लेकर आज घर बैठे डिजिटल रूप से सारे काम करने तक का लंबा सफर तय किया है। उन्होंने कहा कि “नए चैनल मीडिया उद्योग में विभिन्न एल्गोरिदम का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चेहरे की पहचान से लेकर अलग अलग सुझावों और अमेज़ॅन की सिफारिशों तक, एआई मीडिया में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।
मीडिया स्टडीज में एआई के उपयोग और प्रभाव के बारे में बात करते हुए डॉ त्रेहन ने कहा, “आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा है। एल्गोरिदम का पालन करने वाली मशीनें न केवल हमारे जीवन को प्रभावित कर रही हैं बल्कि शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को भी प्रभावित कर रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका शिक्षण क्षेत्र में निरंतर सहायता प्रदान करती है और इसका उदाहरण स्मार्ट क्लासेस हैं।”
डॉ नवनीत ने अपने संबोधन में पीआर में एआई के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया के आगमन पर पीआर सेक्टर में इसको अपनाया गया। पीआर उद्योग ने अपने आसपास हो रहे परिवर्तनों से खुद को अनुकूलित किया। पीआर में एआई की सीमित भूमिका है लेकिन हाँ, यह मीडिया ट्रैकिंग में एक भूमिका निभाता है जो पीआर में बेहद आवश्यक है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विभिन्न पेजों और क्लाइंट्स को ट्रैक करने में मदद करता है। उनका कहना था ki पीआर 3 दशकों में विकसित हुआ है और एआई का इस्तेमाल केवल विशिष्ट क्षेत्र में ही किया जा सकता है।
डॉ गंजू ने एआई के विज्ञापन पहलू पर ध्यान केंद्रित किया और बताया, “विज्ञापन उद्योग एक बहुत ही मजबूत और बढ़ता हुआ उद्योग है। विज्ञापन में 45% स्थान डिजिटल का है और बचे हुए 55% तक पहुंचना अभी बाकी है। वर्तमान पीढ़ी विज्ञापन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मार्ग प्रशस्त कर रही है। ”
सत्र का समापन डीएमई मीडिया स्कूल की प्रमुख एवं प्रोफेसर डॉ सुस्मिता बाला के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने एआई के सामने आए पहलुओं को सामने लाने के लिए सभी पैनलिस्टों के प्रयासों की सराहना की।
सत्र में डीएमई के प्रथम वर्ष की मृणाल रावत और मेघना बख्शी ने एंकरिंग की।
Workshop 3
ICAN 4 का दिन-8 कार्यशाला 3 के साथ समाप्त हुआ। यह सत्र एक दिन पहले डॉ आरोन एटकिंस की उपस्थिति में हुआ। सत्र का विषय ‘पत्रकारिता में उभरती प्रौद्योगिकी: 360-डिग्री वर्चुअल रियलिटी स्टोरीटेलिंग’ था। डॉ एटकिंस वेबर स्टेट यूनिवर्सिटी, ओग्डेन, यूटा, यूएसए में सहायक प्रोफेसर हैं।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सम्मेलन के संयोजक डॉ अंबरीष सक्सेना ने कहा कि 360 डिग्री पत्रकारिता के भविष्य में एक ट्रेंडसेटर है और नए मानक स्थापित करेगी।
सत्र में फिल्मों और पत्रकारिता की शैली में वर्चुअल रियेलिटी के उपयोग पर चर्चा की गयी।
श्री आरोन एटकिंस ने एक ‘यथार्थवादी’ डॉक्यूमेंटरी के निर्माण में कैमरे की स्थिति और बैकग्राउंड संगीत के उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “पर्सपेक्टिव और परसेप्शन कैमरे के लेंस के फोकस और उसको रखने के लिए स्थान निर्धारण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसीलिए दर्शकों के नजरिए से सोचा जाना बेहद अनिवार्य है ”
उन्होंने यह भी कहा कि कैमरा और शॉट कंपोज़िशन का निर्धारण कहानी का निर्माण करने में सहायक होता है। उन्होंने कहा “किसी भी कहानी को बताने के लिए भाषा, प्रोडक्शन और डायरेक्शन के व्याकरण और अवधारणा की समझ ज़रूरी है। विज़ुअलाइज़ेशन के क्षेत्र में विकास की व्यापक गुंजाइश है”।
सम्मेलन की सहयोगी संयोजक डॉ सुस्मिता बाला ने यह कहते हुए सत्र का समापन किया कि टेक्नोलॉजी परिवर्तन का अग्रदूत है। उन्होंने कहा ” नयी टेक्नोलॉजी काम करने के पुराने अंदाज़ को निरस्त कर देती है, वर्चुअल स्पेस नई तकनीकों से व्यापक रूप ले चुका है और हमें टेक्नोलॉजी के परिवर्तनों के अनुसार खुद को ढालने की जरूरत है।”
सत्र का संचालन श्री प्रमोद कुमार पांडे, सहायक प्रोफेसर, मीडिया स्कूल, डीएमई द्वारा किया गया और डीएमई मीडिया स्कूल की प्रथम वर्ष की छात्रा एमएस दिव्यश्री द्वारा एंकरिंग की गई।
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Mohd Kamil
Assistant Professor, DME Media School
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