
इस्लाम में इल्म की अहमियत का अंदाजा क़ुरआन ए करीम की पहली आयत इक़रा से लगाया जा सकता है जिसका मफ़हूम है कि पढ़ो उस रब के नाम से जो बड़ा रहीम ओ करीम है और निहायत रहम वाला है जिसने कलम के ज़रिये से इल्म सिखाया इंसान को वह इल्म दिया जिसे वह न जानता था| बिना इल्म के इंसान ना दुनिया संवार सकता है और ना आख़िरत क्योंकि इस्लाम की शुरुआत ही इक़रा से हुई है| हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इल्म की अहमियत पर ज़ोर देते हुए फ़रमाया है कि “इल्म हासिल करो चाहे इसके तुम्हे चीन ही क्यूँ न जाने पड़े” और कहा कि “इल्म हासिल करो माँ की गोद से ले कर कब्र की आगोश तक”|
जनाब कलिमुल हफ़ीज़ ने अपनी किताब ‘तालीम से ही तस्वीर बदलेगी’ मे उन्होंने बताया है कि इतिहास गवाह है पहले दिन से ही हर इंसानी गरोह जो क़ौम इल्म से आरास्ता होती है उसके सर पर कामयाबी और बुलंदी का ताज होता है| जनाब कलीमुल हफ़ीज़ इस मुसल्लमा हकीकत से पूरी तरह वाक़िफ़ है इसलिए इल्म की सरबुलन्दी और कामयाबी पर उनका यकीन इतना मज़बूत और गहरा है|
इस किताब की सबसे बड़ी खूबी लेखक की बेचैनी, बेकरारी और दर्दमंदी पर ग़मग़ुसारी के आंसू ही है| तालीम के विषय पर दुनिया भर में बहुत से लेख और किताबें मौजूद है| इस किताब की विशेषताओ में, असर डालने वाली है बात ये है
कि लेखक ने अपने मुशाहदे व नज़रियात एक साथ इस तरह समेटते हुए पेश किया है कि ज़ेहनो दिल उसे मानने के सिवा कोई चारा नहीं पाते| इस किताब की नसर इन्तेहाई सादा और आसान है|
लेखक ने भारतीय मुसलमानो में तालीमी सरगर्मियों का ज़िक्र करते हुए कई इरादों और शख्सियत का ज़िक्र किया है| इनमे सर सैयद भी शामिल है| जनाब कलीमुल हफ़ीज़ की ज़ात में यकीनी तौर पर वो जज़्बा मौजूद है,जो तालीमी सरगर्मियों को
तेज़ी से फैलाने में एक काइद का किरदार निभा सकता है| वह कहते है कि सर सैयद अहमद खान ने अपने ज़माने की तालीमी पस्मान्दगी और मिल्लत की सियासी व मआशी बदहाली को अपने आँख से देखा था| इसलिए उन्होंने अपने सफर को लक्ष्य की परवाह किये बगैर जारी रखा| उन्होंने तालीमी इदारे तामीर किये और आम ज़ुबान पर मुस्लिम समाज की कमज़ोरियाँ को दूर करने की कोशिश की है| जनाब कलिमुल हफ़ीज़ की किताब तालीम से ही तस्वीर बदलेगी जिसके उसलूब बहुत ही आसान तरीके से बयां किये हैं जो दिल पर असर करने वाले है|
इस किताब की खूबियों में अहम् खूबी किताब के मौज़ू की पेशकश, जो इंतिहाई दर्दमन्दाना और प्रभावी है जिससे लेखक को तालीम के छेत्र में बढ़ावा मिलने वाली कामयाबी पर पूरा यकीन है| लेखक ने तालीम की सरफ़राज़ी के कई वाक़िए खुद इस किताब में कलमबंद किये है जिससे यह बात वाज़ेह है की आदम अलैस्सलाम से लेकर मुख्तलिफ दौर में कौमों की तरक्की और खुशहाली और सरबुलन्दी व कामयाबी की वजह सिर्फ इल्म ही है|
ताजदारी की इस दौड़ में इंसान के ज़ेहन में ये बात बखूबी घर कर गयी है कि इल्म व दानिश मालूमात और नॉलेज का घोड़ा झटपट आगे की तरफ बढ़ता चला जाता है| ऐसे में जो कौम अपने आप को तालीम से तालीम से आरास्ता नहीं करेगी वह ज़िल्लत की बड़ी खायी में जा गिरेगी| ऐसा लगता है कि कलिमुल हफ़ीज़ का दर्द मंद दिल तालीम के बिछड़ जाने की आह को अपनी नज़र से महसूस करके बेचैन हो जाते है|ग़मग़ुसारी और फिक्रमंदी उनकी किताब को प्रभावी और मक़बूल बनाती है|
होटल रिवर व्यू के मालिक और अल.हफ़ीज़ अकादमी के चेयरमैन जनाब कलिमुल हफ़ीज़ एक उभरती हुई शख्सियत हैं| वह एक नामी लेखक भी हैं| एक अच्छे लेखक होने के साथ साथ एक विचारक और अच्छी सोच रखने वाले दूरंदेशी शख्स है| कलिमुल ने बहुत सारी किताबें लिखी है जिनमे तालीम से ही तस्वीर बदलेगी एक किताब है|

