
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस रिपोर्ट के साथ ही नौकरियों और रोजगार से जुड़ी यह तीसरी रिपोर्ट है जिसे सार्वजनिक होने से पहले ही दबा दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि विशेषज्ञ समिति को ये आंकड़े जमा करने की पद्धति में कुछ अनियमितताएं नजर आईं और इसके बाद इस रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का फैसला ले लिया गया।
गौरतलब है कि पिछले महीने ही मोदी सरकार ने नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी एनएसएसओ की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद लेबर ब्यूरो के सर्वे के निष्कर्षों को इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी। लेकिन, पिछले शुक्रवार को हुई बैठक में विशेषज्ञ समिति ने लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ियों को दुरुस्त करने के लिए कहा। इसके लिए ब्यूरो ने 2 महीने का वक्त मांगा है।
समिति के इस फैसले को अभी केंद्रीय श्रम मंत्री की मंजूरी नहीं मिली है। सूत्रों का कहना है कि रविवार से चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद अनौपचारिक तौर पर अब यही फैसला हुआ है कि इस रिपोर्ट को चुनाव के दौरान सार्वजनिक न किया जाए।
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ध्यान रहे कि सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर अपने शीर्ष पर है। लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक एनएसएसओ की बेरोजगारी पर और श्रम ब्यूरों की नौकरियों और बेरोजगारी से जुड़ी छठी सालाना रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की है। इन दोनों ही रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी के शासनकाल में नौकरियों में गिरावट आने की बात सामने आई थी।
नौकरियों और बेरोजगारी से जुड़ी लेबर ब्यूरो की छठी सालाना रिपोर्ट में बताया गया था कि 2016-17 में बेरोजगारी चार साल के सर्वोच्च स्तर 3.9 फीसदी पर थी। वहीं, एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया था कि बेरोजगारी 2017-18 में 42 साल के सर्वोच्च स्तर 6.1 फीसदी पर थी।
यहां यह भी गौरतसब है कि नीति आयोग ने पिछले महीने लेबर ब्यूरो से कहा था कि वे सर्वे को पूरा करके अपने निष्कर्ष 27 फरवरी को पेश करें ताकि उन्हें आम चुनाव से पहले घोषित किया जा सके।
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नौकरियों और बेरोजगारी से जुड़ी लेबर ब्यूरो की छठवीं सालाना रिपोर्ट में बताया गया था कि 2016-17 में बेरोजगारी चार साल के सर्वोच्च स्तर 3.9 पर्सेंट पर थी. वहीं, एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया था कि बेरोजगारी 2017-18 में 45 साल के सर्वोच्च स्तर 6.1 पर्सेंट पर थी| नीति आयोग ने पिछले महीने लेबर ब्यूरो से कहा था कि वे सर्वे को पूरा करके अपने निष्कर्ष 27 फरवरी को पेश करें ताकि उन्हें आम चुनाव से पहले घोषित किया जा सके|
सर्वेक्षण में अनुमानित 97,000 मुद्रा लाभार्थियों को शामिल किया गया है जिन्होंने 8 अप्रैल, 2015 और 31 जनवरी, 2019 के बीच ऋण योजना का लाभ उठाया था। सर्वेक्षण समय सीमा के दौरान, मुद्रा लाभार्थी 10.35 करोड़ थे जो अब 15.55 करोड़ है।
अखिलेश यादव ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है
अखिलेश यादव ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पीएम मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “बेरोजगार ‘विकास’ पूछ रहा है, कहीं कोई काम मिलेगा? खेतिहर ‘विकास पूछ रहा है, कब मेहनत का दाम मिलेगा और कारोबारी ‘विकास पूछ रहा है, इस कागजी सरकार से छुटकारा कब मिलेगा।