HIGHLIGHTS:
- 71 पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे के बारे में प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है
- इन पूर्व नौकरशाहों ने प्रज्ञा की उम्मीदवारी रद्द करने की भी मांग की है|
- भाजपा के इस कदम की भर्त्सना करते हुए इन नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है|
- प्रधानमंत्री मोदी ने प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए उन्हें हमारी सभ्यता की विरासत का प्रतीक करार दिया था|
मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को जब से भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उम्मीदवारी दी गई है तब से पार्टी की लगातार आलोचनाएँ हो रही हैं।इन आलोचना करने वालों में आई पी एस एसोसिएशन, रिटायर्ड डीजीपी अधिकारी और पूर्व नौकरशाह भी शामिल हैं। बीते दिनों जूलियो रिबेरो समेत आठ रिटायर्ड डीजीपी अधिकारियों ने इसकी कड़ी निंदा की थी। मालूम हो कि प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि हेमंत करकरे की मौत उनके श्राप की वजह से हुई है
इसी क्रम में सिविल सेवा से जुड़े देशभर के 71 पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे के बारे में भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है साथ ही प्रज्ञा की उम्मीदवारी रद्द करने की भी मांग की है|
भाजपा के इस कदम की भर्त्सना करते हुए इन नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर अपील की है कि चुनावी प्रक्रिया में भय और सांप्रदायिक क्रूरता को खत्म करने के लिए वह आगे आएं क्योकि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए उन्हें हमारी सभ्यता की विरासत का प्रतीक करार दिया था|
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ने लगातार प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी का समर्थन किया है, प्रधानमंत्री के इसी समर्थन पर पत्र में नाराजगी जताई गई है|
खुला पत्र लिखने वालों में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनीता अग्निहोत्री, सलाहुद्दीन अहमद, एसपी अम्ब्रोस, वप्पला बालचंद्रन, रिटायर्ड आईपीएस मीरन सी बोरवंकर, रिटायर्ड आईएफएस सुशील दूबे, केपी फाबियान, रिटायर्ड आईआरएस दीपा हरि समेत 71 अधिकारी शामिल हैं।
इस पत्र पर पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरो, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवानकर और प्रसार भारती के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार के भी हस्ताक्षर हैं|
इन अधिकारियों ने पत्र के माध्यम से अपने संयुक्त बयान में कहा है कि हम किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं और भारत के संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अधिकारियों ने कहा कि हम भोपाल सीट से प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी पर अविश्वास और चिंता व्यक्त करते हैं। इस निर्णय को राजनीतिक लाभ का एक और उदाहरण मानकर दरकिनार किया जा सकता था लेकिन स्वयं भारत के प्रधानमंत्री ने प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी को भारत की विरासत का प्रतीक बताया है।
पत्र में कहा गया, ‘करकरे के साथ या उनकी देखरेख में काम करने वाला हर अधिकारी मानता है कि शहीद हेमंत करकरे निहायत ही ईमानदार और प्रेरणा देने वाले शख्स थे|
अधिकारियों का कहना है कि आतंकी गतिविधियों को लेकर प्रज्ञा ठाकुर पर केस चल रहा है। वह स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर हैं| साध्वी कही जाने वाली प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा द्वारा ना सिर्फ एक सियासी प्लेटफॉर्म मुहैया कराया गया बल्कि उन्होंने इसका इस्तेमाल अपनी कट्टरता को बढ़ावा देने और आतंक से लड़ते हुए शहीद होने वाले हेमंत करकरे की यादों का अपमान करने के लिए किया।
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि हेमंत करकरे उनके (प्रज्ञा ठाकुर) श्राप की वजह से शहीद हुए। उनके विचार में ‘’हिंदू’’ देश में जो कोई भी स्वघोषित ‘’हिंदू’’ धार्मिक नेता की जांच करने का साहस दिखाएगा, उसे दिव्य शक्तियों के क्रोध का सामना करना पड़ेगा और वह स्वयं ही नष्ट हो जाएगा।
पत्र के मुताबिक, पूर्व नौकरशाहों के रूप में सामान्य तौर पर हम अपने विचार जाहिर नहीं करते हैं। लेकिन एक पूर्व साथी, एक अधिकारी जिसे अपने काम के लिए जाना गया, उनका अपमान हमारे लिए झटके की तरह था और शब्दों से परे हमें दु:ख हुआ।
जरूरी है कि देश करकरे के बलिदान का सम्मान करे ताकि पथ से भटका हुआ कोई व्यक्ति उनका और उनकी यादों का अपमान ना कर सके।
साथ ही पत्र में यह भी कहा गया कि हमारा यह बयान सिर्फ हेमंत करकरे को लेकर नहीं है बल्कि उस नफरत और विभाजनकारी माहौल को लेकर भी है जो ना सिर्फ इस बार के चुनावी प्रचार की विशेषता बन गया है बल्कि यह एक पूरे समाज को क्षति पहुंचा रहा है।
प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी हमारी सभ्यता की विरासत का प्रतीक नहीं है। आतंकी गतिविधियां हमारे देश की विरासत नहीं हैं। यह बहुसंख्यकवाद नहीं बल्कि विविधता का उत्सव मनाने की सभ्यता है। यह सहिष्णुता, भाईचारे और भारत के संविधान की एकता की भावना है।
बयान के मुताबिक, हम अपनी तरफ से भारत के प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि वह आतंक की किसी भी रूप में मौजूदगी की निंदा करें। वह इस विरोधाभास से नहीं भाग सकते कि उनकी पार्टी आतंकवाद से लड़ने के नाम पर वोट मांग रही है और साथ ही आतंक की आरोपी की उम्मीदवारी को बढ़ावा दे रही है। राजनीतिक महात्वाकांक्षा के लिए शहादत को नहीं भुलाया जा सकता।
आखिर में अधिकारियों ने चुनाव आयोग को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चुनाव आयोग और न्यायपालिका द्वारा विभाजनकारी राजनीति पर लगाम लगाने के प्रयास भी ज्यादा प्रभावी नहीं हो रहे हैं। इसके लिए और अधिक सक्रियता की जरूरत है। हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे भी महात्मा गांधी के सपनों का भारत बनाने में सामूहिक शक्ति का प्रयोग करें।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे पर दिए गए विवादित बयान से व्यथित होकर महाराष्ट्र के पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) रियाजुद्दीन देशमुख उनके ख़िलाफ़ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं|
23 अप्रैल को भोपाल सीट से वे अपना नामांकन पत्र दाख़िल कर चुके हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी इस सीट पर चुनावी मैदान में हैं|
करकरे 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए थे और वह रियाजुद्दीन के वरिष्ठ अधिकारी थे| महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित नेहरू नगर के रहने वाले रियाजुद्दीन ने बताया, ‘अपने वरिष्ठ अधिकारी करकरे के ख़िलाफ़ प्रज्ञा द्वारा की गई टिप्पणी से मैं अत्यधिक व्यथित हूं| उन्होंने कहा, ‘कुछ ही पलों बाद उसने शहीद हुए करकरे साहब को देशद्रोही कहा| मैंने फैसला किया है कि मैं उनके (प्रज्ञा) ख़िलाफ़ चुनाव लडूंगा|
वर्ष 2016 में सहायक पुलिस आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए रियाजुद्दीन ने कहा, ‘मैंने करकरे के अधीन सब इंस्पेक्टर के रूप में काम किया था| उस समय वह ‘अकोला’ जिले के पुलिस अधीक्षक थे| रियाजुद्दीन कहते हैं कि वह मेरे बॉस थे और साथ ही साथ बहादुर लोगों की सहायता करने वाले एवं बहदुर लोगों को प्रेरित करने वाले शख्स थे| उन्होंने कहा, ‘वह मुझे बहुत पसंद करते थे| मैं उन्हें अत्यधिक सम्मान देता था|
इससे पहले मालेगांव विस्फोट में अपने बेटे को खोने वाले एक पिता ने 18 अप्रैल को एक विशेष एनआईए अदालत का रुख कर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में यह विस्फोट सितंबर 2008 में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे। विशेष एनआईए मामलों के न्यायाधीश वी. एस. पाडलकर ने एनआईए और प्रज्ञा दोनों से इस पर जवाब मांगा था।
मृतक के पिता ने अर्जी में प्रज्ञा को मुंबई में अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिए निर्देश देने और मामले में मुकदमे के प्रगति पर रहने को लेकर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी। अर्जी में यह भी कहा गया था कि प्रज्ञा स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं। यदि वह इस भीषण गर्मी में भी चुनाव लड़ने के लिए स्वस्थ हैं, तो फिर उन्होंने अदालत को गुमराह किया है।
भोपाल सीट पर 12 मई को मतदान होना है|