
बीती 1फरबरी को कार्यकारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कालेधन पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार के कालाधन को रोकने के उपायों और कदमों से 1,30,000 करोड़ रुपये की काला धन पकड़ा गया| उन्होंने कहा कि कालाधन रोधी उपायों के चलते 3.38 लाख मुखौटा कंपनियों का पंजीकरण समाप्त किया गया| बेनामी कानून के तहत 6,900 करोड़ रुपये की घरेलू संपत्ति जब्त की गई जबकि 1,600 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति जब्त की गई|
लेकिन आज वित्त मंत्रालय ने कालेधन पर उन तीन रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना कर दिया है, जिनमें देश के भीतर और विदेश में भारतीयों द्वारा कालाधन रखने से जुड़ी जानकारी है| मंत्रालय का कहना है कि इन रिपोर्ट की जांच एक संसदीय समिति कर रही है, ऐसे में इन्हें सार्वजनिक करने से संसद के विशेषाधिकार का हनन होगा| सरकार के पास ये रिपोर्ट जमा कराए चार साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है|
Related Article:मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश… जानिए क्या है प्रमुख अंतरिम बजट मे
केंद्र सरकार के पास बीते चार वर्षों से अधिक समय से ये रिपोर्ट जमा हैं| पिछली यूपीए सरकार ने वर्ष 2011 में इस संबंध में दिल्ली स्थित राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी), राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) और फरीदाबाद के राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एनआईएफएम) से अलग-अलग अध्ययन कराया था| आरटीआई के एक जवाब में सरकार ने बताया कि उसे एनआईपीएफपी की रिपोर्ट 30 दिसंबर 2013, एनसीएईआर की रिपोर्ट 18 जुलाई 2014 और एनआईएफएम की रिपोर्ट 21 अगस्त 2014 को प्राप्त हुई थी|
मंत्रालय ने कहा है कि, “संसद की वित्त मामलों की स्थाई समिति को भेजने के लिए ये रिपोर्ट और इस पर सरकार के जवाब को लोकसभा सचिवालय भेज दिया गया है|”
समाचार एजेंसी पीटीआई के संवाददाता की ओर से दायर की गई आरटीआई के जवाब में लोकसभा सचिवालय ने पुष्टि की है कि इस तरह की रिपोर्ट उसे मिली हैं और उसे समिति के समक्ष रखा गया है जिसकी जांच की जाएगी| मंत्रालय ने इन रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना कर दिया है, क्योंकि उनके अनुसार यह संसद के विशेषाधिकार का उल्लंघन होगा| सूचना का अधिकार कानून-2005 की धारा-8(1)(ग) के तहत इस तरह की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने से छूट प्राप्त है|
Related Article:शिक्षा को दरकिनार कर भारत बनाएगा 10 ट्रिलियन की अर्थव्यबस्था
जवाब के अनुसार संसद की स्थाई समिति को ये रिपोर्ट 21 जुलाई 2017 को सौंपी गई| अमेरिकी शोध संस्थान ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी के अनुसार, 2005 से 2014 के दौरान भारत में करीब 770 अरब अमेरिकी डॉलर का कालाधन आया|
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, समान अवधि के दौरान लगभग 165 अरब डॉलर का काला धन देश से बाहर गया|
वित्त मंत्रालय ने 2011 में कहा था, बीते कुछ समय में काले धन के मुद्दे ने लोगों और मीडिया का ध्यान खींचा है| अभी तक देश और विदेशों में कालेधन का कोई भी विश्वसनीय आंकड़ा नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये अनुमान विभिन्न अपुष्ट अनुमानों पर आधारित है|