
सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के दौरान पटाखे जलाने और समय को लेकर नया निर्देश जारी किया है| इस नए निर्देश के तहत अदालत ने यह साफ़ कर दिया कि ग्रीन पटाखे केवल दिल्ली-एनसीआर के लिए है| देश के बाकी हिस्सों में समान्य पटाखे जलाए जा सकेंगे परन्तु कोर्ट ने पटाखे फोड़ने के 2 घंटे के समय को लेकर कोई बदलाव नहीं किया है जिसे लेकर तमिलनाडु सरकार खुश नहीं है|
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के त्यौहार में बिकने वाले पटाखों को कुछ शर्तों के साथ जलाने का निर्देश दिया था| कोर्ट ने पटाखे जलाने का नियमित समय रात 8 बजे से 10 बजे तक यानी केवल 2 घंटे का समय तय किया था| इसके साथ ही सिर्फ ग्रीन पटाखे इस्तेमाल करने का आदेश दिया था जिसके बाद कुछ लोग इस आदेश का विरोध कर रहे है तो वहीँ, कुछ लोग इसे पर्यावरण के लिहाज से सही ठहरा रहे है|
सुबह 4 बजे से 6 बजे तक पटाखे फोड़ने की मांगी इजाज़त
जहाँ एक ओर तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश से नाखुश है वहीँ, अदालत ने तमिलनाडु सरकार को अपने अनुसार दो घंटे के अंतराल में पटाखे फोड़ने की समय-सीमा तय करने की अपील की है|
तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर धार्मिक परंपरा का हवाला देते हुए सुबह के समय पटाखा फोड़ने की इजाज़त मांगी है| सरकार ने वकील विनोद खन्ना के मार्फ़त याचिका दायर कर इस आदेश में संशोधन की गुज़ारिश करते हुए सुबह 4 बजे से लेकर 6 बजे तक पटाखे फोड़ने की इजाज़त मांगी है|
मालुम हो पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते वायु प्रदुषण को देखते हुए दिवाली में जलाए जाने वाले पटाखों को लेकर दिशा-निर्देश तय किया था जिसमे केवल ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल करने की बात कही गई थी| सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आम लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं| जिसमे पहला सवाल यह कि आखिर ग्रीन पटाखें क्या है? कौन से पटाखे हैं जिन्हें जलाने से प्रदूषण कम होता है?
क्या है ग्रीन पटाखे?
वैसे किसी भी पटाखे को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं बनाया जा सकता लेकिन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के वैज्ञानिकों ने पटाखों का ऐसा फॉर्म्युला तैयार किया है जिसे ग्रीन पटाखों की कैटिगरी में रखा जा सकता है| इन पटाखों में धूल को सोखने की क्षमता होती है| साथ ही इन पटाखों से होने वाला उत्सर्जन लेवल भी बेहद कम है| इनमें पटाखों का एक फॉर्म्युला ऐसा भी है जिससे वॉटर मॉलिक्यूल्स उत्पन्न हो सकते हैं जिससे धूल और खतरनाक तत्वों को कम करने में बहुत मदद मिलती है|
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प्रदुषण फैलने में पटाखों की अहम भूमिका
देश में प्रदूषण फैलाने में पटाखों की अहम भूमिका रही है| इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग एक तय समय में बहुत ज्यादा पटाखे जलाते हैं| साथ ही थोड़ी सी जगह में ढेर सारे पटाखे जलाए जाते हैं जिससे निकलने वाला धुंआ सीधा शरीर के अंदर प्रवेश करता है| पटाखों से निकलने वाले धुएं की वजह लोगों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे अक्यूट अस्थमा का अटैक आ सकता है, निमोनिया के मामले बढ़ सकते हैं, फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी हो सकती है, सांस लेने में तकलीफ होने लगती है|
पटाखों की बिक्री पर कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से पहले पटाखों की बिक्री और इसे जलाने को लेकर अहम फैसला दिया है| कोर्ट ने अपने फैसले में बीच का रास्ता अपनाते हुए संतुलन बनाने की कोशिश की है| कोर्ट ने अपने आदेश में कुछ शर्तों के साथ पूरे देश में पटाखों पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है| सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि केवल उन्हीं पटाखों को बेचने की अनुमति होगी जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो| अदालत ने सेफ और ग्रीन पटाखे बेचने की अनुमति दी है| कोर्ट के फैसले के मुताबिक पटाखे एक तय समय में तय किए गए एरिया में ही बेचे जाएंगे| वहीँ, कोर्ट ने ई-कॉमर्स पोर्टल्स को पटाखे बेचने पर रोक लगा दी है|
बिते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कम आवाज़ करने वाले पटाखों को जलाने का आदेश दिया है ताकि बढ़ते प्रदुषण से मुक्ति मिल सकें|

