साल 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामले में नरेंद्र मोदी को मिली क्लीनचिट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। बीते 13 नवंबर को इस मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था। बता दें कि गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने क्लीनचिट दे दी थी।
आखिरी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए.एम खानविलकर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा था कि उस एसआईटी क्लोजर रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करना होगा, जिसने मोदी को क्लीन चिट दी थी। इसलिए अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।
एसआईटी ने जांच के बाद मोदी को दी थी क्लीनचिट
गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच के बाद 8 फरवरी 2012 को एसआईटी ने मोदी को यह कहते हुए क्लीनचिट दे दी थी कि मामला चलाने के लिए उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं। साल 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने भी एसआईटी की इस क्लीनचिट का समर्थन करते हुए जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने 2002 में हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
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दंगे रोकने के लिए पर्याप्त कदम न उठाने का आरोप
साबरमती एक्सप्रेस की आग में कारसेवकों की मौत के बाद राज्य में कई जगहों पर हिंदू और मुस्लिमों में टकराव हुआ। दंगों की कई घटनाओं में एक घटना गुलबर्ग सोसाइटी कांड थी। इस सोसाइटी को घेर कर दंगाइयों ने 68 लोगों को मार डाला था।
जाकिया जाफरी के पति और कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी भी इसी सोसाइटी में रहते थे। गुजरात सरकार दंगों को काबू करने में नाकाम रही थी। तीसरे दिन दंगों को काबू करने के लिए सेना उतारनी पड़ी थी। नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाया जाता रहा है उन्होंने दंगे रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए थे।
गुजरात हाई कोर्ट ने मोदी पर आरोपों को कर दिया था रद्द
जाकिया जाफरी ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में जांच की मांग की थी। तब हाई कोर्ट ने कहा कि दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी और इसमें किसी बड़ी साजिश के आरोप को कोर्ट ने रद्द कर दिया था। गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया से कहा है कि वो चाहें तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती हैं। इसके बाद ही जाकिया जाफरी ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
साल 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए। तीन दिन तक चले सांप्रदायिक दंगों में करीब 2000 लोगों की मौत हो गई थी। ये दंगे गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने के बाद भड़के थे। यह ट्रेन कारसेवकों से भरी थी| इस आग में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी।

