
अमेरिका स्थित ‘हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट और इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स ऐंड इवैलुएशन’ के रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में दोनों देशों में 25 लाख लोगों को वायु प्रदुषण के चलते जान गंवानी पड़ी| रिपोर्ट के मुताबिक आसपास की हवा खराब होने के साथ ही घर के भीतर भी वायु प्रदूषण की स्थिति है|
वायु प्रदुषण के चलते भारत में 12 लाख लोगों की अकेले साल 2017 में ही मौत हो गई| यही नहीं चीन में भी इतने ही लोगों ने खराब हवा के चलते जान गंवा दी| ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019’ शीर्षक से तैयार रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया में जन्मे बच्चों की आयु दुनिया के अन्य हिस्सों के मुकाबले ढाई साल कम होती है|
Related Article:2017 में भारत में वायु प्रदूषण ने 1.2 मिलियन लोगों की ली जान:रिपोर्ट
भारत का हाल
भारत की बात करें तो यहां स्मोकिंग से भी ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण के चलते होती हैं| दुनिया भर में कुपोषण, शराब के सेवन और शारीरिक निष्क्रियता जैसी समस्याओं से ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण से होती हैं| वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में 82 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें लोग नॉन कॉम्युनिकेबल बीमारी का शिकार हो जाते हैं|
भारत ने प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए बहुत से कदम उठाए गए है परन्तु वे उतने असरदार साबित नहीं हो रहे| प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, भारत चरण-4 स्वच्छ वाहन मानक और नए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम जैसे बड़े कदम उठाए हैं| हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष रॉबर्ट ओकीफे ने एक बयान में आईएएनएस को बताया, ‘इन कदमों और भावी पहलों को वायु की गुणवत्ता की प्रतिबद्धता के तहत पूरी तरह लागू किया जाए तो इसमें आने वाले वर्षो में स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण फायदे मिलने की संभावना है|
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी सभी खतरों से होने वाली मौतों में तीसरा सबसे बड़ा कारण है| रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण से जितने लोगों की मौत होती है उसकी आधी संख्या भारत और चीन में है| भारत और चीन में 2017 में वायु प्रदूषण से क्रमश: 12-12 लाख लोगों की मौत हुई|
इससे पहले भी ‘द लैंसेट काउंटडाउन: ट्रैकिंग प्रोग्रेस ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेंट चेंज’ की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में घरों के भीतर वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2015 में 1.24 लाख लोगों की असामयिक मौत हुई थी|
रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में अल्ट्राफाइन पीएम 2.5 की मौजूदगी के कारण वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2015 में 5, 24,680 लोगों की असामयिक मौत हुई और इन मौतों का सबसे बड़ा कारण घरों के भीतर वायु प्रदूषण है जिसके कारण 1, 24,207 लोगों की असामयिक मौत हुई|
अन्य स्रोतों में, कोयला बिजली संयंत्रों, परिवहन और उद्योगों के उत्सर्जन के कारण क्रमश: 80,368 लोगों, 88,091 लोगों और 1, 24,207 लोगों की मौत हुई|
Related Article:India’s air pollution: a major crisis at hand
रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि 9, 66,793 लोगों की असामयिक मौत के साथ चीन इस मामले में वर्ष 2015 में शीर्ष पर रहा लेकिन उसके मामले में इन मौतों का सबसे बड़ा कारण औद्योगिक स्रोतों से होने वाला प्रदूषण था|
साल 2017 में यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत सहित दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण से एक साल से कम उम्र के 1.22 करोड़ शिशुओं के मानसिक विकास पर असर पड़ सकता है| संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनिसेफ ने कहा था कि वायु प्रदूषण के संकट से लाखों भारतीय बच्चे प्रभावित हो रहे हैं|