हाल ही में दुनिया के मशहूर मेडिकल साइंस जर्नल ‘द लैंसेट’ में छपे एक अध्ययन ने दुनिया के सामने चौकाने वाले आंकड़े पेश किये हैं| अध्यन से पता चलता है कि हर साल दुनिया भर में 42 लाख (4.2 मिलियन) लोग सर्जरी के 30 दिनों के भीतर ही मर जाते हैं| जो कि संयुक्त रूप से एचआईवी, टीबी, मलेरिया से मरने वालों की कुल संख्या से भी ज्यादा है|
‘द लैंसेट’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्यन ने पाया कि ऑपरेशन के बाद होने वाली मौतों में ज्यादातर लोग निम्न और मध्य-आय वाले देशों में होते हैं जिनकी तादाद 2.1 मिलियन है. यानी ऑपरेशन के बाद मरने वालों की कुल तादाद की लगभग आधी तादाद निम्न और मध्यम-आय वाले देशों की है|
ब्रिटेन में बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि निम्न और मध्य-आय वाले देशों में सर्जरी की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है| उनका यह भी मानना है कि अगर सभी रोगियों का समय पर ऑपरेशन किया जाए तो पोस्ट-ऑपरेटिव मौतों की संख्या बढ़कर 6.1 मिलियन हो जाएगी|
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शोधकर्ताओं का मानना है कि हर साल संयुक्त रूप से एचआईवी, टीबी और मलेरिया से मरने वालों की संख्या लगभग 2.97 मिलियन जो कि पोस्ट-ऑपरेटिव मौतों की तुलना में कम है|
‘द लैंसेट’ कमीशन ने ग्लोबल सर्जरी पर ज़ोर देते हुए कहा कि दुनिया भर में हर साल लगभग 313 मिलियन सर्जरियां होती हैं, लेकिन देशों को इसके बारे में बहुत कम जानकारी है| शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि वैश्विक स्तर पर सर्जरी की गुणवत्ता, जैसे कि मजबूत पोस्ट-ऑपरेटिव मृत्यु दर केवल 29 देशों के लिए उपलब्ध है|
टीम ने अनुमान लगाने के लिए उपलब्ध जानकारी का विश्लेषण देश की आय और पोस्ट-ऑपरेटिव डेथ रेट के आधार पर किया कि दुनिया भर में कितने लोग ऑपरेशन के बाद मरते हैं| बर्मिंघम विश्वविद्यालय के रिसर्च फेलो, दिमित्री नेपोगोडिव ने कहा सर्जरी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए ‘उपेक्षित और सौतेली’ व्यहवहार रहा है. मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों के इलाज में लगाए गए निवेश का एक अंश सर्जरी को प्राप्त हुआ है|
नेपोगोडीव ने कहा, “हालांकि सभी पोस्ट-ऑपरेटिव मौतों से बचना संभव नहीं है, लेकिन शोध, स्टाफ प्रशिक्षण, उपकरण और बेहतर अस्पताल सुविधाओं में निवेश को बढ़ाकर कई बीमारियों को रोका जा सकता है।” आगे उन्होंने कहा “सर्जरी के बाद मरने वाले लाखों लोगों से बचने के लिए, दुनिया भर में सर्जरी की गुणवत्ता में सुधार के लिए योजनाबद्ध तरीके से विस्तार को निवेश द्वारा पूरक होना चाहिए”।
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सर्जरी ज़िंदगीयाँ बचाती है और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को बदल सकती है, लेकिन इस अध्ययन से पता चलता है कि बड़ी संख्या में रोगी तत्काल पश्चात की अवधि में मर जाते हैं। बर्मिंघम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डियोन मॉर्टन ने कहा “जैसा कि दुनिया भर में सर्जरी को बढ़ाने के प्रयास जारी हैं, सर्जरी की गुणवत्ता और सुरक्षा में सुधार के लिए अनुसंधान की तत्काल आवश्यकता भी है|”
42 लाख मृत्यु में 7.7 परसेंट लोग सर्जरी के 30 दिन के अंदर ही अपना दम तोड़ देते हैं. सर्जरी से मरने वालों का आंकड़ा, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक को छोड़ कर, किसी भी अन्य बीमारी से मरने वालों की संख्यां से ज़यादा है।
आंकड़े के मुताबिक इस समय दुनिया में लगभग 4.8 अरब लोगों वक़्त पर सुरक्षित और सस्ती सर्जरी नहीं मिल पाती है।