
एक तरफ जहां सरकार भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना दिखा रही है या ये कह लें की शिक्षा के मामले में बेवकूफ बना रही है तो ये कहना गलत नहीं होगा-|आज के बच्चे देश का भविष्य हैं। शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ
छात्र किसी भी देश की पूंजी होते हैं। बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए सरकारें तमाम तरह की योजनाएं बनाती हैं। भारत में कोई भी बच्चा (ग्रामीण या शहरी इलाका) शिक्षा हासिल करने के बुनियादी अधिकार से वंचित न रहे उनके लिए
राइट टू एजुकेशन 2009 का प्रावधान किया गया। असर (ASER) की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 24 राज्यों के ग्नामीण इलाकों में स्कूली शिक्षा का हाल नीति नियामकों के माथे पर चिंता की लकीर खींचता है। देश में शिक्षा का हाल क्या है इससे समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि ग्रामीण इलाकों में छात्रों से किस तरह के सवाल किये गए थे|
Related Article:नवोदय स्कूलों में आत्महत्या: पांच सालों में 49 आत्महत्या, अनुसूचित जाति और जनजाति बच्चों की सांखियाँ आधी
कितने काबिल है सेकंडरी स्कूल के छात्र
57% छात्रों को नहीं आता साधारण भाग
40% बच्चे नहीं पढ़ सकते इंग्लिश सेंटेंस
25% बिना रुके नहीं पढ़ सकते अपनी भाषा
76% स्टूडेंट नहीं कर सकते नोटों की गिनती
58% स्टूडेंट नहीं जानते अपने राज्य का नक्शा
14%स्टूडेंट नहीं जानते अपने देश का नक्शा
सर्वे को देश के 24 राज्यों के 28 जिलों को शामिल किया गया था। उत्तर प्रदेश से वाराणसी और बिजनौर, मध्य प्रदेश से भोपाल और रीवा, छत्तीसगढ़ से धमतरी, बिहार से मुजफ्फरपुर और हरियाणा से सोनीपत जैसे जिलों को शामिल किया
गया था। 14-18 उम्र समूह में 28,323 छात्रों से सवाल जवाब किये गये। इसके साथ ही 60 फीसद छात्र 12वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत सर्वे में वैसे छात्रों को शामिल
किया गया जो या तो प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर चुके थे या कक्षा आठ की परीक्षा में शामिल होने वाले हैं। सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया के जरिए गांवों को मुख्यधारा में शामिल करने का अभियान चला रही है। लेकिन सर्वे से
एक हफ्ते पहले केवल 28 फीसद छात्रों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया और 26 फीसद छात्रों ने कंप्यूटर का इस्तेमाल किया था।
Related Article:मध्य प्रदेश में शिक्षा की बदहाली के लिए ज़िम्मेदार कौन?
असर (एनुअल स्टेटस एजुकेशन) की रिपोर्ट के मुताबिक देश के करीब 60 फीसद युवा ही 12 वीं के आगे पढ़ना चाहते हैं। इस दौरान लड़के और लड़कियों की व्यावसायिक आकांक्षाओं में भी स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। ज्यादातर लड़कों
की रुचि सेना, पुलिस में जाने के साथ इंजीनियर बनने की है, जबकि लड़कियां नर्स और शिक्षक बनना चाहती हैं। असर की 2017 की यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक देश में मौजूदा समय में से 18 आयु वर्ग के करीब 10 करोड़ युवा हैं। इनमें फीसद युवा ही ऐसे हैं, जो मौजूदा समय में औपचारिक शिक्षा ले रहे हैं। इनमें करीब 60 फीसद ऐसे हैं, जो उच्च शिक्षा यानी 12वीं के आगे पढ़ना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 12वीं के आगे न पढ़ने वालों
में से ज्यादातर ऐसे हैं, जिनके ऊपर पढ़ाई के साथ-साथ काम का भी दबाव है। लगभग 42 फीसद ऐसे युवा हैं, जो पढ़ाई के साथ काम भी करते हैं। इनमें 79 फीसद खेती का काम करते हैं। तीन चौथाई ऐसे युवा हैं, जिन्हें पढ़ाई के साथ-साथ घर पर प्रतिदिन काम करना होता है। इनमें भी करीब 71 फीसद लड़के हैं, जबकि 89 फीसद लड़कियां हैं।

