
भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपुर्ण समझौता हुआ है जिसमें दोनों देशो ने भारत में अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण का फैसला लिया है| बुधवार को वॉशिंगटन डीसी में हुए भारतीय-अमेरिकी सुरक्षा वार्ता के नौवें दौर के बाद भारत और अमेरिका के बीच हुए इस सौदे की बात सामने आई है| खबर है कि वार्ता में दोनों देशों ने विनाशकाय हथियारों के प्रसार को बचाने और आतंकवाद को इसकी पहुँच से दूर रखने के लिए हाथ मिलाया है|
विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय सुरक्षा और असैन्य परमाणु ऊर्जा को मज़बूत करने का निर्णय लिया है जिसमें छह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण भी शामिल हैं| अमेरिका ने एक बार फिर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की पुरानी सदस्यता में मज़बूत समर्थन की भी पुष्टि जताई है|
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बता दें कि भारत और फ्रांस के बीच हुई जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के निर्माण की बात भी अब उन्नत चरण पर है| महाराष्ट्र के तटीय इलाके में जैतपुर परमाणु ऊर्जा का निर्माण होने बाद यह भारत का सबसे बड़ा परमाणु पार्क होगा जिसमें प्रत्येक 1650 मेगावाट वाले छह रिएक्टर होंगे|
दोनों देश के संयुक्त बयान में कहा गया, ‘भारत में छह अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना सहित द्विपक्षीय सुरक्षा और असैन्य परमाणु सहयोग को मजबूत करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं|’
मालूम हो कि भारत और अमेरिका ने अक्टूबर 2008 में असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए| इस सौदे ने द्विपक्षीय संबंधों को एक मजबूती प्रदान की| हालांकि, बयान में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं दी गई| लेकिन भारत में अमेरिका के इस रुख से तमाम संभावनाएं पैदा होती हैं|
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जानकारी के मुताबिक सौदे का एक प्रमुख पहलू परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) था जिसने भारत को एक विशेष छूट दी जिससे वह एक दर्जन देशों के साथ सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर कर सके| छूट के बाद, भारत ने अमेरिका, फ्रांस, रूस, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, यूके, जापान, वियतनाम, बांग्लादेश, कजाकिस्तान और दक्षिण कोरिया के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए है|
यह समझौता, ऊर्जा की कमी की समस्या का समाधान करने में सहायता करेगा जो भारत की बढ़ती विकास दर से संबंधित एक प्राथमिक समस्या के रूप में उभरी है| इस समय भारत की केवल 3% ऊर्जा जरूरतें परमाणु स्रोतों से पूरी की जाती हैं| भारत की सन् 2020 तक परमाणु क्षेत्र से 20,000 एमडब्ल्यूई के उत्पादन की योजना है जो वर्तमान 3700 एमडब्ल्यूई के मुकाबले काफी अधिक है|