यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मोनिटरिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की गिरती साक्षरता दर के मुख्य कारणों में मौसमी (seasonal) प्रवासन भी है| रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 में 6 से 14 वर्ष के 10.7 मिलियन ग्रामीण परिवारों ने अपनी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक स्थान से दुसरे स्थान प्रावास किया| रिपोर्ट के मुताबिक इन घरों में 15 से 19 वर्ष की आयु के 28 प्रतिशत युवा अशिक्षित थे वहीँ, 18 प्रतिशत ऐसे जो शिक्षा तो दूर प्राइमरी स्कुल भी नहीं गए| साल 2015-16 में पंजाब राज्य में 3 हज़ार ईंट भट्ठी श्रमिकों के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 60% अन्तराजीय ग्रामीण प्रवासी थे| भट्टों में रहने वाले 5 से 14 वर्ष के बीच के लगभग 65% और 80% बच्चे प्रति दिन सात से नौ घंटे काम करते थे| लगभग 77% भट्ठी श्रमिकों ने अपनी बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति के लिए अपना बचपन खोया और वें प्राइमरी स्कूल नहीं जा पाए|
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटर-स्टेट माइग्रेशन रेट 2001 और 2011 के बीच दोगुना हो गया है और 2011 से 2016 तक सालाना 9 मिलियन प्रवास अनुमानित हैं|
यह उन बच्चों के लिए शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव की चेतावनी देता है जो माता-पिता के प्रवास के कारण पीछे रह गए| हालांकि, रिपोर्ट यह स्वीकार करती है कि भारत ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठाए हैं| साल 2009 में शिक्षा अधिकार अधिनियम ने स्थानीय अधिकारियों के लिए प्रवासी बच्चों का प्रवेश अनिवार्य बना दिया| राष्ट्रीय स्तर के दिशानिर्देश जारी किए गए जिसमें बच्चों के प्रवेश की अनुमति, परिवहन और स्वयंसेवकों को मोबाइल शिक्षा के समर्थन में मौसमी छात्रावास बनाने एवं व्यवस्था में समन्वय सुधार करने का लक्ष्य रखा गया| हालाँकि, यह एक असफल पहल की भी बात करता है| रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 2010-2011 से ईंट भट्ठी साइटों पर काम करने वाले बच्चों की प्रगति को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किए गए पायलट कार्यक्रम के तहत कोई भी महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ| रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि भारत में हर 1 लाख लोगों के लिए केवल एक शहरी योजनाकार है जबकि यूनाइटेड किंगडम में प्रत्येक 1 लाख लोगों के लिए 38 सिटी प्लानर हैं|
यूनेस्को के अनुसार भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा अनपढ़ों का मुल्क है| यूनेस्को के अनुसार दुनिया भर में करीब 78 करोड़ लोग अशिक्षित हैं| इन 78 करोड़ लोगों का 75 फीसदी केवल इन 10 देशों में है जिनमें भारत, चीन, बांग्लादेश, नाइजीरिया, पाकिस्तान, इथियोपिया, ब्राजील, इंडोनेशिया और कांगो शामिल है| हालांकि इन 10 मुल्कों में से कुछ ऐसे भी हैं जिनकी साक्षरता दर बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है| इसमें नेपाल, इथोपिया और बांग्लादेश शामिल है लेकिन भारत को आज भी शिक्षा क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने की ज़रूरत है और उत्पन्न होती चुनौतियों से निपटने एवं क्षमता हासिल करने के लिए बदलाओं लाने की ज़रूरत है|

