पिछले कुछ वर्षो से सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे पोस्ट डाले जा रहे है जिससे दो लोगों में या अलग-अलग धर्म के माने वालों में में घृणा पैदा या आपसी मतभेद हो। इसी की देखते हुए स्थायी समिति ने फेसबुक को ठोस कदम उठाने को कहा है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने बुधवार को फेसबुक के गलत इस्तेमाल पर चिंता जाहिर करते हुए इसके अफसरों से ठोस कदम उठाने को कहा। समिति ने फेसबुक के अधिकारियों से कहा कि ऐसे इंतजाम होने चाहिए कि समाज को विभाजित करने, हिंसा फैलाने, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली पोस्ट और विदेशी ताकतों द्वारा भारतीय चुनाव में हस्तक्षेप न किया जा सके।
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संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष ने फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम के अधिकारियों से मुलाकात की जानकारी देते हुए बताया कि हमने फेसबुक को समाज को विभाजित करने, वैमनस्य फैलाने, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले पोस्ट और विदेश ताकतों द्वारा सोशल मीडिया मंच का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है।
अनुराग ठाकुर ने अपने बयान में कहा की फेसबुक के अधिकारियों ने माना कि उन्हें इन मुद्दों पर सुधार करने की जरूरत है और वे इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया फेसबुक के अधिकारी चुनाव आयोग के संपर्क में रहेंगे और संबंधित मंत्रालयों द्वारा मिलने वाली सूचना के अनुसार काम करेंगे। इससे पहले संसद की स्थायी समिति के समक्ष ट्विटर के अधिकारियों को तलब किया था। लेकिन उपलब्धता न होने के कारण ट्विटर के बड़े अधिकारी पेश नहीं हो पाए। ट्विटर ने अपने कनिष्ठ अधिकारियों को संसदीय समिति के सामने पेश होने के लिए भेजा लेकिन समिति ने मिलने से इनकार करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को पेश होने के लिए 10 दिन का समय दिया।
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अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाले पैनल के सामने 25 फरवरी को ट्विटर के कॉलिन क्रॉवेल भी पेश हो चुके हैं। पैनल ने ट्विटर अधिकारियों से, चुनाव आयोग के साथ मिलकर काम करने को कहा और उनसे तमाम मुद्दों को सुलझाने को कहा गया। वैश्विक स्तर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता है। इससे पहले ट्विटर को अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के सामने भी पेश होने के लिए कहा गया था। अमेरिकी चुनाव में भी सोशल मीडिया मंच के गलत इस्तेमाल को लेकर सवाल खड़े हुए थे। इस संबंध में रूस पर आरोप लगे थे उसने अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप किया। ऐसे में चुनावी साल में दुनिया के सबसे लोकतंत्र में भी सोशल मीडिया मंचों के गलत इस्तेमाल पर सवाल उठना लाजिमी है।