
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक निजी चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में देश की कमज़ोर अर्थव्यवस्था पर चिंता ज़ाहिर की है| रघुराम राजन ने इंटरव्यू में कहा है कि देश को एक मज़बूत आंतरिक अर्थव्यवस्था की ज़रूरत है| रघुराम राजन ने देश के विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी| उन्होंने कहा की चीन ने पहले आर्थिक रूप से मजबूत होने पर ध्यान केंद्रित किया है| अब हम देख सकते हैं कि उनके पास एक महत्वपूर्ण सेना और रक्षा प्रणाली है| हमें अपनी विकास दर बढ़ाने की भी जरूरत है|
देश में बेरोजगारी, नौकरियों से लेकर नोटबंदी जैसे मुद्दों पर राजन अपनी राय रखी| उन्होंने कहा कि देश में नौकरियों की भारी किल्लत है और सरकार इस पर सही से ध्यान नहीं दे रही है|
नौकरी के अवसर नहीं
रघुराम राजन ने कहा कि आज भले ही आपके पास हाई स्कूल की डिग्री हो मगर आपको नौकरी नहीं मिलेगी| हमारे पास आईआईएम, आदि जैसे प्रमुख संस्थानों को से पढ़ने वाले लोगों के लिए बहुत अच्छी नौकरियां हैं मगर अधिकांश छात्र जो स्कूलों और कॉलेजों से पढ़कर निकलते हैं उनके लिए स्थिति समान नहीं है क्योंकि वे जिन स्कूलों और कॉलेजों से पढ़कर निकलते हैं वह उस स्तर का फेमस नहीं होता|
पिछले दिनों जारी हुई एनएसएसओ की जॉब्स रिपोर्ट पर रघुराम राजन ने कहा कि युवाओं को नौकरियों की तलाश है| भारत में अच्छी नौकरियों की बड़ी किल्लत है| मगर अवसर नहीं हैं| बेरोजगारी पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है| लंबे समय से नौकरियों के आंकड़े बहुत खराब हैं| हमें इनमें सुधार करने की आवश्यकता है|
ईपीएफओ या अन्य मेक-अप संस्करणों पर भरोसा नहीं कर सकते| बेहतर रोजगार डेटा एकत्र करने की आवश्यकता है| यह कहना समस्याजनक है कि लोग नौकरी नहीं चाहते हैं| कुछ आंदोलन इस तथ्य के रिफ्लेक्शन हैं कि युवा नौकरियों की तलाश में हैं खासकर सरकारी नौकरियां क्योंकि सरकारी नौकरियों में सुरक्षा का भरोसा होता है|
राहुल गांधी की न्यूनतम आय गारंटी योजना के ऐलान पर रघुराम राजन ने कहा कि इस योजना का डिटेल क्या होगा, यह मायने रखता है| यह योजना एक ऐड-ऑन की तरह होगा या जो अभी मौजूदा चीजें हैं उसके विकल्प के तौर पर? हम गरीबों तक कैसे इस योजना को कैसे लेकर जाएंगे? हमने समय के साथ देखा है कि लोगों को सीधे पैसा देना अक्सर उन्हें सशक्त बनाने का एक तरीका है| वे उस धन का उपयोग उन सेवाओं के लिए कर सकते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता है| हमें यह समझने की जरूरत है कि ऐसी कौन सी चीजें या योजनाएं (सब्सिडी) हैं जिन्हें प्रक्रिया में प्रतिस्थापित किया जाएगा|
रघुराम राजन ने कहा कि विभिन्न संस्थानों के बोर्ड में राजनीतिक दलों के लोगों के आने से मुझे कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर उन लोगों का सारा ध्यान संस्थान की ओर ही हो जाता है तो मुझे डर है कि हमारे संस्थान और बोर्ड असंतुलित हो जाएंगे|