26 साल बाद फिर शुरू होगा लखवाड़ प्रोजेक्ट… 6 राज्यों के बीच हुआ समझौता

26 साल से बंद पड़ी योजना में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को छह राज्यों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए| इस परियोजना में 204 मीटर ऊंची परियोजना का निर्माण उत्तराखंड के लोहारी गांव के पास 330.66 मिलियन क्यूबिक मीटर की लाइव स्टोरेज क्षमता के साथ किया जाएगा।

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It took 26 years to Restart Lakhwaar Project, MoU signed between 6 State Governments

चार दशक से अटकी पड़ी लखवाड़ बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय परियोजना फिर शुरू होगी| 26 साल से बंद पड़ी योजना में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को छह राज्यों के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए|

इस समझौते पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) सहित राजस्थान (वसुंधरा राजे सिंधिया), उत्तराखंड (त्रिवेंद्र सिंह रावत), हिमाचल प्रदेश (जयराम ठाकुर), हरियाणा (मनोहर लाल खट्टर) और दिल्ली के मुख्यमंत्री (अरविंद केजरीवाल) ने भी हस्ताक्षर किए।

लगभग 4 हज़ार करोड़ की लागत वाली इस परियोजना में 204 मीटर ऊंची परियोजना का निर्माण उत्तराखंड के लोहारी गांव के पास 330.66 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) की लाइव स्टोरेज क्षमता के साथ किया जाएगा।

समझौता ज्ञापन के दौरान नितिन गडकरी ने कहा ‘जनवरी और जून के बीच पानी संकट से निपटने के लिए ऊपरी यमुना बेसिन में भंडारण सुविधा को बनाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।’

मंत्री ने कहा कि यह समझौता यमुना के मॉनसून प्रवाहों का संरक्षण और उपयोग करने का एक प्रयास है, जिसमें कहा गया है कि परियोजना को 90 प्रतिशत केंद्र द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा, जबकि शेष राशि छह राज्यों द्वारा दी जाएगी।

गडकरी ने कहा कि जल भंडारण के जरिए 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और छह बेसिन राज्यों में घरेलू पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्धता कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि परियोजना 300 मेगावाट बिजली भी उत्पन्न करेगी और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएल) द्वारा इसका निष्पादन किया जाएगा।

 मुख्य जानकारी

  1. वर्ष 1976 में भारत के योजना आयोग ने डैम बनाने की मंजूरी दी थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य था हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर-प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान को सिंचाई, घरेलू और औद्योगिक कार्यों के लिए पानी की सप्लाई करना।
  2. 1987 में योजना का काम शुरू किया गया| 1992 तक 30 प्रतिशत फीसदी काम पूरा हुआ। इसके बाद आर्थिक संकट के कारण काम रुक गया।
  3. वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया।
  4. केन्द्र ने अपर यमुना रिवर बोर्ड का गठन किया ताकि यमुना के पानी को राज्यों में बांटा जा सके|
  5. राज्यों ने 12 मई, 1994 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

समझौता ज्ञापन में हरियाणा के पानी का हिस्सा 47.82 फीसदी निर्धारित किया गया।

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The Policy Times
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