झारखण्ड में 88 गैर सरकारी संगठनों ने कथित तौर पर कई नियमों का उल्लंघन किया है| इन गैर-सरकारी संगठनो को विदेशी सहायता भी प्राप्त है| इन संगठनों ने कथित तौर पर ‘फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010’ का उल्लंघन किया है, जिसकी जांच जारी है|
झारखंड के सीआईडी ने 88 विदेशी सहायता प्राप्त एनजीओ की जांच सीबीआइ से कराने की सिफारिश की है| झारखण्ड पुलिस प्रवक्ता एवं एडीजी आर के मालिक ने कहा है कि 10 संस्थाओं की जांच में गड़बड़ियां सामने आयी हैं| करोड़ो रूपए का गलत लेखा संधारण, संदिग्ध भुगतान, भुगतान में धार्मिक विश्वास के प्रसार के लिए निधि का उपयोग और सरकार को गलत सूचना दिए जाने के सबूत मिले हैं|
अधिकारियों के सूत्रों ने बताया कि सीआईडी 88 एनजीओ की जांच कर रही है जिनमे अधिकतर ईसाई मिशनरी शामिल हैं और 10 संघटनो की जांच पूरी की जा चुकी है।
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जांच में सामने आई ये गड़बड़ियाँ
एक मामला जो ‘लुथेरियन गर्ल्स हॉस्टल’ से सामने आया| इस संस्था ने वर्ष 2016-17 का इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है| इसमें करोड़ों रूपए के अनियमितता की आशंका है| संस्था ने बड़ी मात्रा में कैश का नकद भुगतान किया है| एक्ट के अनुसार अधिकतम 20 हजार रूपए तक ही नकद भुगतान किया जा सकता है जबकि शेष भुगतान चेक, ड्राफ्ट व ई-बैंकिंग आदि से किया जा सकता है| यह एफसीआर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है|
विदेशी सहायता प्राप्त धार्मिक संस्थाओं को धर्म, राजनैतिक व सामाजिक विश्वास के संकीर्ण दायरे से ऊपर उठ कर कार्य करना है| इस हॉस्टल ने अपने बायलॉज में धर्म, जाति, लिंग व उम्र से ऊपर उठकर काम करने की घोषणा की है लेकिन इसके उप नियम में दिए गए निर्देश से साफ जाहिर होता है कि छात्रों में एक धर्म के प्रति रुझान पैदा की जाए जिसका अंतिम परिणाम धर्मांतरण भी हो सकता है| यह एफसीआरए अधिनियम की धारा 08(ए) का उल्लंघन है|
वहीँ दूसरा मामला रांची कार्मेलाइट सोसाइटी का है| एफसीआरए अधिनियम के अनुसार, एफसीआरए कोष को किसी भी हालत में नन एफसीआरए कोष में स्थानांतरित नहीं किया जाना है पर रांची कार्मेलाइट सोसाइटी ने इस प्रावधान का उल्लंघन किया है|
गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर संस्थाओं के लिए क्या करें और क्या ना करें इसकी जानकारी दी गई है| इसके अनुसार, किसी भी संस्था को किसी प्रकार का विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने के पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति लेने के बाद ही विदेश यात्रा करनी है|

