
सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल और उसके सदस्यों के नामों को शॉर्टलिस्ट करने के काम को फरवरी के अंत तक पूरा करने के लिए सर्च कमेटी से अनुरोध किया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चयन समिति के विचार के लिए नामों का एक पैनल भी प्रस्तुत किया जाए। यह केंद्र को सर्च कमेटी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए भी कहता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 7 मार्च 2019 को लोकपाल की नियुक्ति की याचिका पर सुनवाई करेगा।
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मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने एडवोकेट प्रशांत भूषण, जिन्होंने सर्च कमेटी की कार्यप्रणाली पर संदेह जताया था। से कहा- नकारात्मक दृष्टिकोण से चीजों को मत देखिए। चीजों को सकारात्मक रूप से देखें और ऐसा करने से दुनिया एक बेहतर जगह साबित होगी। हम दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
बता दें कि लोकपाल की खोज के लिए कमेटी बनने के बाद से ही पिछले 110 दिनों से इसकी एक भी मीटिंग नहीं हुई है। इसके बाद यह बात लगभग तय हो गई है कि भारत को इसका पहला लोकपाल अभी नहीं मिलने वाला है। 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जानने की कोशिश की कि सितंबर में लोकपाल की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी बनने के बाद से केंद्र सरकार ने इसके लिए कौन से कदम उठाए हैं। मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में बने बेंच ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि ‘आज की तारीख तक आपने क्या किया है।
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इस मामले में उन्होंने उठाए गए कदमों के लिए शपथ पत्र की भी मांग की। अभी ‘कॉमन कॉज’ नाम की एनजीओ मामले को उठा रही है। इसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार द्वारा लोकपाल की नियुक्ति न करने की वजह से कोर्ट की अवमानना करने के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में कोर्ट द्वारा खुद ही लोकपाल की नियुक्ति करने की मांग की गई है। बता दें कि लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट, 2014 में पारित होने के बाद से ही किसी न किसी कारण से अब तक लागू नहीं हो पाया है।

