
मध्य प्रदेश की कमल नाथ सरकार ने चुनावी घोसना पत्र में किये गए वादे को पूरा करते हुए एक और घोसना पर अमल कर दिया है| सरकार ने राज्य के सभी इंडस्ट्रीज़ में 70% नौकरियां स्थानिये लोगों को देने के नियम को अनिवार्य बना दिया है| उन इंडस्ट्रियों को भी नियम का पालन करना होगा जिन्हें बीजेपी सरकार में ज़मीन या अन्य सुविधाएं मिली थी| इसके आदेश जारी कर दिए है| इस फैसले से प्रदेश के युवाओं को बड़ी रहत मिलेगी। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने वचन पत्र जारी किया था| प्रदेश में खुलने वाली कंपनियों में युवाओं को रोज़गार देना अनिवार्य किया जाएगा| सरकार के इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री ने निशाना साधते हुए कहा यह प्रावधान पहले से है इसमें कुछ नया नहीं है| वहीँ कांग्रेस ने प्रदेशवासियों के हित में यह बड़ा कदम उठाया है|
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यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब कांग्रेस और अन्य पार्टियां मोदी सरकार को आक्रामक रूप से बेरोज़गारी के मुद्दों को बार-बार उठा रही है|
कमल नाथ के एक बयान पर तब विवाद खड़ा हो गया था जब उन्होंने कहा था यूपी-बिहार के प्रवासियों की वजह से मध्य प्रदेश में स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता| मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के इस बयान की भले ही आलोचना की गयी थी लेकिन वह अपने बयान पर अड़े हुए थे| कमलनाथ के इस बयान की कई नेताओं ने आलोचना की थी| भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कमलनाथ जो बात कह रहे हैं उसका प्रवधान पहले से है| केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का बयान आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि कमलनाथ को यूपी-बिहार में घुसने नहीं देंगे| समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और राष्ट्रीय जनता दल ने भी कमलनाथ के इस बयान पर विरोध दर्ज कराया था| इस बयान के विरोध में उनके खिलाफ बिहार के मुजफ्फरनगर कोर्ट में केस भी दर्ज करा दिया गया|
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इस बीच कमलनाथ ने बयान जारी कर अपनी स्थिति साफ कर दी थी कि उन्होंने कहा है कि यूपी बिहार के प्रवासियों पर मैंने क्या गलत कहा है, यह तो हर जगह है, दूसरे राज्यों में भी है, मैंने कौन सी नई बात की है. स्थानीय लोगों को वरीयता मिलनी चाहिए| ऐसा लगता है कि उन्होंने सोच समझकर यह बयान जारी किया है|