
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार सालों में गौ रक्षा के नाम पर तक़रीबन 61 हमले हुए है जिसमे ज्यादातर मुसलमानों को टारगेट किया गया| एक मामले में तो 12 साल के बच्चे इम्तियाज़ खान को गाय के नाम पर हत्या कर पेड़ से लटका दिया गया था| हिंसा के मामलों में राजस्थान का नाम भी सामने आया था जहाँ पिछले साल अप्रैल में पहलु खान नाम के शख्स को ‘गौ तस्करी’ के आरोप में एक भीड़ ने बेहरहमी से हत्या कर दी थी| पुलिस ने पहलु खान के अपराधियों को गिरफ्तार किया था पर कुछ दिनों बाद आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई| राजस्थान में जहाँ इन दिनों चुनाव की सरगर्मी है, इस बीच यह कहना कि राजस्थान में किसी तरह की साम्प्रदायिक हिंसा नहीं है, हिन्दू–मुसलमानों के बीच सब ठीक है, क्या यह जवाब सार्थक है?
राजस्थान के एक छोटे से शहर झुनझुनू के चोपदरन मोहल्ले में जहाँ मुसलिम आबादी से धर्म के नाम पर होती सम्द्रायिक हिंसा पर चर्चा की गई तब एक समूह ने देश में बढ़ते मुसलमानों के प्रति भेदभाव और असहिष्णुता की बात कही| इस बीच मोहम्मद अली, जो पेशे से एक विक्रेता है, कहते हैं कि पहले जब हम हिन्दू मित्रों से मिलते थे तब चर्चा का विषय कुछ और होता था लेकिन अब सोशल मीडिया में फैलते हेट सन्देश से जुड़ी बातें होती है| इनका कहना है कि कुछ लोग सोशल मीडिया में इस तरह की नफरत भरे संदेश भेजते है जैसे वे हिन्दुओं को उपदेश देते है कि ईद में मुस्लिम घरों में खाने के लिए न जाए क्यूंकि वें गाय का मांस खाते है| वहीँ, मोहम्मद असलम का कहना है कि वह झुनझुनू से दिल्ली में बछड़े लेते थे और उन्हें गाज़ीपुर में बेचते थे| उनका यह व्यवसाय था लेकिन उन्हें यह व्यवसाय छोड़ना पड़ा क्योंकि अब इस तरह व्यवसाय मुश्किल हो गया| उन्होंने कहा आज भीड़ का खतरा बढ़ गया है, हिंसा हो सकती है और हमने देखा कि पुलिस हमारे बचाव में नहीं आती| आगे कहा कि गौ रक्षकों की भीड़ ने उनके भाई की जान ली थी|
सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कांग्रेस की भी है
जहाँ देश में अल्पसंख्यक समुदाय में खौफ का माहौल बन रहा है ऐसे में क्या सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कांग्रेस की बनती है? आज जो हिंसा का माहौल है उसमे भाजपा से ज्यादा बजरंग दल और शिवसेना जैसे हिन्दू संगठन भी ज़िम्मेदार है| इससे पहले आरएसएस की भूमिका दिखाई नहीं देती थी, ना ही मोहन भागवत कभी सुर्ख़ियों में आए थे लेकिन अब ऐसा मालुम होता है जैसे भाजपा इन्ही के इशारों में कदम से कदम मिला कर चल रही है| इन सब में कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए मोहम्मद अली कहते हैं कि ऐसा लगता है कि हाई कमांड ने कांग्रेस को निर्देश दिया है कि मुसलमानों के मुद्दों पर वें बात न करें| अली ने कहा कि मेरा सवाल कांग्रेस के लिए है| वे तथाकथित संवेदनशील मुद्दों के बारे में बात क्यों नहीं करते? कांग्रेस पर नाराज़गी जताते हुए मोहम्मद अली कहते है कि समाचार चैनल में उनसे जुड़े ज़मीनी मुद्दों को प्रमुखता से नहीं दिखाया जाता और ना ही कोई राजनेता उनके मुद्दों को निडरता से उठाता है| मोहम्मद अली कहते हैं कि कांग्रेस हर मुद्दों पर आलस्य दिखाती है पर दुर्भाग्यवश राजस्थान में हमारे पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है|
वहीँ, दूसरी जगह नागौर शहर के लोहरपुरा के मुस्लिम मोहल्ला में देश में बढ़ते ध्रुवीकरण के विषय पर बात की गई| इस पर शकील अहमद कहते है देश में धर्म के नाम पर नफरत की खाई इतनी बढ़ा दी गई है कि आज हम जैसे दाढ़ी वालों को अजनबी की तरह देखा जाने लगा है| यहाँ मौजूद ज्यादातर लोगों का कहना था जब बीजेपी कमज़ोर महसूस करती है तो वह अयोध्या में मंदिर की बात करती है| जब देश में कोई घृणित घटना घटती है तब बीजेपी चुप रहती हैं| आगे कहते है सरकार का यह मौन अपराधियों के लिए समर्थन जैसा है| जब देश में अशांति होती है तो मोदी जी विदेश निकल जाते है| कोई पारिवारिक बुजुर्ग ऐसा नहीं करता है| जब अपना घर उथलपुथल में हो तो आप घर छोड़ कर किसी और की शादी में नहीं जाते पर हमारे देश के प्रधानमंत्री ऐसा करते है| नागौर शहर में सोफिया बेसिक स्कूल में गणित के अध्यापक तनवीर अहमद कहते हैं, ‘यदि कांग्रेस सत्ता में आना चाहती है, तो उसे चुप रहना होगा वहीँ, एक कपास व्यापारी मोहम्मद शफी कहते है, ‘कांग्रेस को हमारे लिए बात करने की ज़रूरत नहीं है| हम केवल शांति चाहते हैं| बस धंध चालना चाहिए (व्यवसाय चलना चाहिए, यह सब कुछ है)| शकील अहमद कहते है कि आज अल्पसंख्यक समुदाय के लिए यहाँ ‘कुआं’, वहां ‘खाई’ जैसे हालात बन गए है| गाय के नाम पर बढती हिंसा को देखते हुए पिछले साल 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे अपराध रोकने के लिए हर जिले में एक नोडल अफसर तैनात करने का निर्देश दिया था|
इंडिया स्पेंड के एक विश्लेषण के मुताबिक 2010 से सितंबर 2017 तक गौ रक्षा के नाम पर हिंसा की जितनी भी घटनाएं हुई हैं उनमें से 45 फीसदी वारदातें अकेले 2017 में हुई हैं। इन वारदातों में जिन लोगों को निशाना बनाया गया उनमें से 53 फीसदी मुसलमान रहे| इतना ही नहीं इन घटनाओं में जितने भी लोग मारे गए उनमें से 87 फीसदी मुसलमान हैं| विश्लेषण में कहा गया है कि गौ रक्षा के नाम पर सबसे ज्यादा हत्याएं पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में हुई हैं| रोचक तथ्य यह भी सामने आया है कि इन सभी में से 46 फीसदी मामलों में पुलिस ने पीड़ितों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया है| इंडियास्पेंड ने अंग्रेजी मीडिया में आने वाली खबरों के विश्लेषण के बाद कहा है कि 2010 से अब तक जितनी वारदातें हुई हैं उनमें से 97 फीसदी वारदातें मई 2014 के बाद यानी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुई हैं| इसके अलावा गौ रक्षा के नाम पर हुई हिंसा की वारदातों में से 52 फीसदी बीजेपी शासित राज्यों में हुई हैं| (यह रिपोर्ट ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से साभार है)

