
पाकिस्तान में 25 जुलाई का दिन बेहद ख़ास रहा क्यूंकि इमरान खान की पार्टी ‘तहरीक-ए-इन्साफ’ को जहाँ भारी बहुमत के साथ जीत हासिल हुई वहीँ नवाज़ शरीफ और हाफ़िज़ सईद की पार्टी को करारी शिकस्त मिली| चुनाव का यह नतीजा इस लिहाज़ से भी ख़ास रहा क्यूंकि पाकिस्तान में पहली बार हिन्दू नेता सामान्य सीट से चुने गए है, इससे पहले ये नेता पाक के पहले गैर मुस्लिम राजनीतिज्ञ थे|
डेली टाइम्स के अनुसार पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के महेश कुमार मालानी दक्षिण सिंध प्रांत में थारपारकर सीट(एनए-222) से नेशनल असेंबली के लिए चुने गए है जबकि सिंध के मीरपुर ख़ास-1(पीएस- 47) से हरिराम किशोरी लाल ने एक्यूएम पी के मुजिबुल हक़ को 9695 मतों से पराजित किया|
थार रेगिस्तान की कुल आबादी का हिंदू जनसंख्या 49 फीसदी है। बता दें कि किशोरी लाल, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष असिफ अली जरदारी का करीबी माना जाता है, उन्होंने मिरपुर्खा ज़िले से अपनी सीट जीती जिसमें कुल 15 लाख आबादी है और इनमे 23 फीसदी हिंदू हैं। उन्होंने मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के मुजीब-उल-हक़ से अपने प्रतिद्वंदी के खिलाफ 33,201 वोट हासिल किए जिन्हें 23,506 वोट मिले| इसके साथ ही पीपीपी के ही ज्ञानचाँद इसरानी ने जामशोरो-2 (पीएस-81) सीट के साथ जीत दर्ज की| इसके पहले इसरानी सिंध की पहली सरकार में आबकारी और कर मंत्री थे|
पाकिस्तान में हिंदू संगठनों ने सामान्य सीटों पर हिंदू उम्मीदवारों के चुनाव परिणामों का स्वागत किया। पाकिस्तान हिंदू सभा के अध्यक्ष डॉ. गोविंद राम ने कहा कि सामान्य सीटों पर हिंदू उम्मीदवारों का नामांकन एक अद्भुत विचार था क्यूंकि पाकिस्तान में हिंदुओं का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है।
1998 जनगणना के अनुसार यहाँ मुस्लिमों की तादाद 59 फीसदी थी जबकि हिन्दुओं की केवल 41 फीसदी आबादी थी| आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं, हालांकि समुदाय के अनुसार देश में 90 लाख से अधिक हिंदू रह रहे हैं। सिंध प्रांत में पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी बस गई है जहां ये दोनों आबादी मिलजुल कर रहती है |

