
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार के विरोध को दरकिनार करते हुए, सरकार को राफेल डील के बारे में जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह उन कदमों के बारे में बताए जिसके तहत फ्रांस से फाइटर जेट राफेल खरीदने की प्रक्रिया का फैसला किया गया। आपको बता दें कि पिछले कुछ माह से इस जेट को लेकर काफी हंगामा मचा हुआ है और विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर घोटाले का आरोप लगा रहा है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने राफेल सौदे को लेकर दायर की गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि वह केंद्र को औपचारिक नोटिस जारी नहीं कर रही है क्योंकि उसने दो वकीलों की ओर से अलग अलग दायर जनहित याचिकाओं में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर विचार नहीं किया है। अदालत इस मामले में अब 31 अक्टूबर को आगे विचार करेगा।
क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में?
मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि सरकार से कहिए कि इस बारे में कोर्ट को सूचित किया जाए कि राफेल डील कैसे हुई| हम यह साफ कर दें कि हमने याचिका में लगाए गए आरोपों का संज्ञान नहीं लिया है| यह आदेश केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि फैसला लेने में समुचित प्रक्रिया का पालन किया गया की नहीं ? हम राफेल विमान की कीमत या एयरफोर्स के लिए इसकी उपयोगिता के बारे में नहीं पूछ रहे हैं |
इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि रक्षा सौदों में प्रोटोकॉल होता है | यह बताया जा सकता है | इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि अगर हम डील की जानकारी को छोड़कर इसमें फैसले लेने की प्रक्रिया की जानकारी मांगें तो क्या आप यह उपलब्ध करा सकते हैं? अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सवाल पूछे गए थे, जिनकी जानकारी नहीं दी जा सकती है |
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है | संसद में 40 सवाल पूछे गए हैं | उन्होंने कहा कि यह जनहित याचिका नहीं है, बल्कि चुनावों के समय राजनीतिक फायदे के लिए लाई गई याचिका है | यह न्यायिक समीक्षा का मामला नहीं है | अंतरराष्ट्रीय समझौते में दखल नहीं दिया जा सकता है |
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप अपनी याचिका में लिखी बात पर कायम रहें | हम इस मामले को नहीं सुनेंगे | उन्होंने कहा कि यह डील सरकारों के प्रमुखों ने की है | इसकी सभी जानकारी सामने आनी चाहिए |
Related Articles:
- ‘अगर सहयोगी चाहेंगे तो प्रधानमंत्री जरूर बनेंगे’
- सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस होंगे रंजन गोगोई… 3 अक्टूबर को लेंगे शपथ
एडवोकेट विनीत ढांडा ने कहा कि सरकार यह नहीं बता रही है कि राफेल जेट की लागत में हथियार और इसके रखरखाव की कीमत भी शामिल है या नहीं | इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ढांडा से पूछा कि आपकी याचिका किस संबंध में है? एडवोकेट विनीत ढांडा ने कहा है कि अदालत के सामने सबकुछ आना चाहिए| एडवोकेट एमएल शर्मा ने कहा है कि यह कानून का उल्लंघन और भ्रष्टाचार है | यह विएना कन्वेंशन का भी उल्लंघन है| भ्रष्टाचार के विरोध में अंतरराष्ट्रीय संधियां हुई हैं और देश भ्रष्टाचार के आरोप वाले समझौतों को रद्द कर सकते हैं|
उन्होंने कहा है कि 2012 के समझौते के मुताबिक फ्रेंच संसद के सामने पेश की गई राफेल की असल कीमत 71 मिलियन यूरो है | डस्सॉल्ट एविएशन की वार्षिक रिपोर्ट में भी एयरक्राफ्ट की ‘असल कीमत’ का जिक्र है| शर्मा ने भारत फ्रांस सन्धि के सिलसिले में विएना कन्वेंशन का जिक्र किया | फ्रांस संसद में पेश ओरिजिनल दस्तावेज का हवाला देते हुए राफेल की मूल और असली कीमत 71 मिलियन का दावा किया गया | सरकार पर 206 मिलियन डॉलर के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया | 2006 से 2008 के बीच टेंडर हुआ |
क्या हैं कांग्रेस के आरोप?
राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी डस्सॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर जो सहमति बनी थी उसकी तुलना में बहुत अधिक है| इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है | पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया| राहुल गांधी ने कहा कि अनिल अंबानी जी 45000 करोड़ रुपये के कर्जे में हैं|10 दिन पहले कंपनी खोली और प्रधानमंत्री जी ने 30,000 करोड़ रुपया हिन्दुस्तान की जनता का पैसा, एयरफोर्स का पैसा अनिल अंबानी की जेब में डाला है| राहुल गांधी ने कहा कि ऐसे आरोप लग रहे हैं की भारत के प्रधानमंत्री भ्र्ष्ट हैं तो इसपर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए |

