
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने चुनावी अभियान के दौरान केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए “राजनीति के अपराधीकरण को दूर करने” की बात कही थी हालांकि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भी न आम चुनावों में पैसों के इस्तेमाल पर लगाम लगी और ना ही दागी लोगों को टिकट देने से इंकार किया गया। भारत में चुनावो पर पैसा और पावर अभी भी वोटर्स पर हावी है।
राजस्थान
राजस्थान की 15 वीं विधानसभा के लिए चुने गये 199 विधायकों में से 158 ‘करोड़पति हैं जबकि 2013 में यह संख्या 145 थी। एडीआर की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ कांग्रेस के 99 में से 82 विधायक, भाजपा के 73 में से 58 विधायक, बसपा के छह में से पांच विधायक और 13 में से 11 निर्दलीय विधायक ऐसे हैं जिनकी संपत्ति का मूल्य एक करोड़ रुपये से अधिक पाया गया है। आईटी रिटर्न में अपनी कुल संपत्ति घोषित करने वालों मे परसराम मोरदिया– 172 करोड़, उदयल आंजना– 107 करोड़ और रामकेश– 39 करोड़ शामिल है। इसके अलावा सबसे कम संपत्ति दिखाने वाले विधायकों में सबसे युवा विधायक राजकुमार रोत, मुकेश कुमार भाकर और रामनिवास गावरिया का नाम सामने आता हैं। रिपोर्ट के अनुसार 59 विधायकों की शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास जबकि 129 विधायकों की घोषित शैक्षणिक योग्यता स्नातक व इससे उपर और सात विधायकों ने खुद को सिर्फ साक्षर बताया।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों में इस बार सबसे अधिक 68 करोड़पति विधायक सदन में चुनकर पहुंचे हैं। चुनाव सुधार के मुद्दे पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने छत्तीसगढ़ में 90 नवनिर्वाचित विधायकों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया और पाया कि राज्य में 68 ऐसे विधायक चुने गए हैं जो करोड़पति हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 में सबसे अधिक 76% करोड़पति विधायक चुने गए हैं जबकि वर्ष 2013 में 90 में से 67 यानी 74% और वर्ष 2008 में 30 यानी 35 फीसदी करोड़पति विधायक चुने गए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष कांग्रेस के 68 में से 48 विधायक, भाजपा के 15 में से 14 विधायक, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के सभी पांच विधायक और बहुजन समाज पार्टी के दो में से एक विधायक करोड़पति हैं। चुने गए 90 विधायकों में सबसे कम संपत्ति चंद्रपुर क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक राम कुमार यादव के पास 30,464 रुपए की संपत्ति है. यादव और साहू के पास कोई भी अचल संपत्ति नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार 90 विधायकों में से 27 विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता पांचवीं और 12वीं के बीच घोषित की है, जबकि 32 विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज्यादा घोषित की है एक विधायक ने अपनी शैक्षिक योग्यता साक्षर घोषित किया है।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में इस बार 230 नव निर्वाचित विधायकों में से 187 करोड़पति चिन्हित हुए हैं जबकि 2013 में ये संख्या 161 पायी गई थी। 2013 में 70% करोड़पति चिन्हित किये गए थे जो कि इस बार 11% की बृद्धि के साथ 81% हो गए हैं। बीजेपी के 109 विधायकों में से 90 करोड़पति हैं जिनकी कुल संपत्ति लगभग 11.16 करोड़ है जबकि कांग्रेस के 114 से से 90 विधायक करोड़पति पाए गए हैं जिनकी कुल संपत्ति 9.41करोड़ है। बसपा के 02 में से 01 तथा सपा का एक विधायक करोड़पति हैं। भारत के तीन बड़े राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नव निर्वाचित 519 विधायको में से लगभग 80% करोड़पति हैं। इन आंकड़ों से साफ़ है कि पैसों के अभाव में अच्छे लीडर खत्म होते जा रहे है। ऐसे लीडर्स करोडो रूपए ख़र्च करने के बाद 5 साल अपना नवाबी स्टाइल दिखाते हैं जो जनता के बीच आने की भी ज़रुरत महसूस नहीं करते जवाब में वो ज़मीनी हकीकत से वाक़िफ़ नहीं हो पाते हैं। अब सवाल ये है कि ऐसे लीडर्स जो चुनाव में करोडो रूपए खर्च करते हैं क्या ये लीडर जीतने के बाद आम जनता के बीच नज़र भी आयंगे या जनता को इनके दरबार में अपनी समस्याओं को लेकर जाना पडेगा। फिलहाल देश में धन और बल के प्रभाव को रोकने के लिए राजनीतिक वित्त सुधार की आवश्यकता है।

