
जयपुर में जीका वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 100 तक पहुंच चुकी है। नियंत्रण के उपाय तेज करने के लिए केंद्र ने बुधवार को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की टीम को रवाना कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कुल पीड़ितों में से 23 गर्भवती महिलाएं हैं। बुधवार को जयपुर और दो पड़ोसी जिलों में 20 नए मामले सामने आए हैं। अधिकारी ने बताया की आइसीएमआर के विशेषज्ञों का दल जयपुर पहुंच गया है। यह टीम जीका वायरस फैलाने वाले मच्छरों को मारने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कीटनाशकों में बदलाव करेगी। जिन मच्छरों से डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस फैलते हैं उन्हीं से जीका वायरस भी फैल रहे हैं।
सिंधी कैंप और घनी आबादी वाले शास्त्री नगर इलाके से लिए गए मच्छरों के नमूने में जीका वायरस पाया गया है। राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य वीनू गुप्ता ने बुधवार को जयपुर में बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने संक्रमण के मामलों की जानकारी जारी की। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रयास सफल भी हो रहे हैं। जीका संक्रमण से पीड़ित मरीजों में से उपचार के बाद अधिकतर में सुधार भी दिख रहा है। जयपुर में जीका संक्रमण के अधिकतर मामले शास्त्री नगर इलाके से सामने आए हैं। जो प्रभावित इलाके हैं वहां लगातार फॉगिंग और लारवा को नष्ट करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
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ज़ीका वायरस के लक्षण
इसके लक्षण फ्लू की तरह होते हैं। यानी बुखार, शरीर और सिर में दर्द। डब्लूएचओ का कहना है कि इन लक्षणों का इलाज दर्द और बुखान की दवाओं, आराम और अधिक पानी से हो सकता है। अगर लक्षण और भी घातक हों तो लोग चिकित्सकीय सलाह ले सकते हैं। इसके और भी कई लक्षण हैं, जैसे रैशेज हो जाना जैसे डेंगू के कारण होते हैं। वहीं कुछ लोगों को कंजाक्तिविटिस की शिकायत भी होती है। कंजाक्तिविटिस में आंखों में सूजन या आंखों की बाहरी झिल्ली और आंतरिक पलक में संक्रमण फैल जाता है। इसके लक्षण पता चलने में 13 से 14 दिन लग जाते हैं।
जीका वायरस के प्रकोप से खुद को कैसे बचा सकते हैं लोग
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रभावित इलाकों में लोगों को सलाह दी है कि वह अपने घर के अंदर रहें। जो सावधानियां डेंगू में बरती जाती हैं वही इसमें भी बरती जाएं। मच्छरदानी और मच्छरों को मारने वाले सामान का उपयोग करें। इसके अलावा सेक्सुअल ट्रंसमिशन से भी सावधानी बरतें।

