बता दें छह दिसंबर को बाबरी विध्वंस की वर्षगांठ है| जिसके मद्देनज़र रामभक्तों, शिवसैनिक और साधु संतों का जमावड़ा अयोध्या में बढ़ता जा रहा है| ज्यादातर साधु भी एक सुर से राम मंदिर निर्माण की वकालत करते हुए लगातार राम नगरी में पहुंच रहे हैं| ईधर रविवार यानी आज अयोध्या में होने जा रहे धर्मसभा को लेकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है| अयोध्या में बढ़ती सक्रियता को लेकर शहर में तनाव का माहौल भी दिख रहा है| साथ ही अयोध्या और फैजाबाद में धारा 144 तक लागू कर दी गई है| अयोध्या में मौजूदा हालात 1992 वाले हालातों की याद दिला रहा है|
मालुम हो राम मंदिर विवाद की सुनावाई उच्चतम अदालत ने जनवरी तक लिए टाल दी है लेकिन इस बीच सत्ता में काबिज सरकार के मंत्री, विश्व हिन्दू परिषद्, शिवसेना व अन्य हिन्दू दलों ने संविधान की अवहेलना करते हुए हिंसा की आंधी को भड़काने का काम किया है| सरकार के ही आला मंत्रियों ने राम मंदिर को लेकर ऐसे हिंसात्मक और विवादित बयान देते नज़र आ रहे है जो न सिर्फ संविधान का उल्लंघन है बल्कि लोकतंत्र भी खतरे की दहलीज़ पर है| पिछले दिनों शिवसेना के नेता संजय राउत ने मीडिया के सामने कहा था कि हमने सिर्फ 17 मिनट में बाबरी मस्जिद तोड़ दी तो कानून बनाने में कितना टाइम लगता है? राष्ट्रपति भवन से लेकर यूपी तक बीजेपी की सरकार है| राज्यसभा में ऐसे बहुत सांसद हैं जो राम मंदिर के साथ खड़े रहेंगे|
सरकार का जुमला है ‘राम मंदिर’
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को अयोध्या पहुंचे| संवाददाता सम्मेलन में यह पूछे जाने पर कि सरकार अगर मंदिर नहीं बनाती तब क्या करेंगे| उद्धव ने कहा, ‘पहले सरकार को इस पर काम तो करने दो| ये सरकार मज़बूत है अगर ये नहीं बनाएगी तो कौन बनाएगा| अगर ये सरकार मंदिर नहीं बनाएगी तो मंदिर तो ज़रूर बनेगा लेकिन शायद ये सरकार नहीं रहेगी|’ उद्धव ने कहा कि मेरा कोई छुपा एजेंडा नहीं है| मैं यहाँ देशवासियों की भावना की वजह से आया हूं| पूरे विश्व के हिंदू राममंदिर कब बनेगा ये जानना चाहते हैं| चुनाव के दौरान सब लोग राम राम करते हैं और बाद में आराम करते हैं| आगे कहा कि महीने, साल गुजरते जा रहे हैं, पीढ़ियां जा रही हैं लेकिन राम लला का मंदिर नहीं बना|
‘हर हिंदू की यही पुकार पहले मंदिर फिर सरकार‘ का यह नारा उद्धव ठाकरे ने अपने अयोध्या दौरे के पहले दिया था| उनका कहना है कि बीजेपी के लिए 15 लाख रुपए हर शख्स के खाते में डालने जैसा जुमला राम मंदिर भी है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा| जब तक राम मंदिर नहीं बनेगा तब तक सरकार भी नहीं बनेगी|
स्थानीय लोगों में डर का माहौल
अयोध्या में हिंसा की आशंका को लेकर स्थानीय नागरिक ख़ुद को परेशानी में महसूस कर रहे हैं| पांजीटोला, मुगलपुरा जैसे कुछ मोहल्ले की मुस्लिम बस्तियों के लोगों ने बातचीत में आशंका जताई कि बढ़ती भीड़ को लेकर उनमें थोड़ा भय का माहौल है क्योंकि ऐसी ही स्थितियां 1992 में भी बनीं थीं| इश्तियाक़ अहमद कहते हैं, ‘ये जो भीड़ बढ़ रही है, उसमें लोगों को अहसास हो रहा है कि 1992 जैसा कोई हादसा न हो जाए| कुछ लोगों ने अपने घरों से बच्चों और औरतों को हटा दिया है| कुछ लोग राशन-पानी भी अपने घरों में जमा कर चुके हैं|
पांजीटोला के रहने वाले शेर अली कहते हैं, ‘प्रशासन ने आश्वस्त किया है लेकिन आप जानते हैं कि दूध का जला मट्ठा भी फूंककर पीता है| 1992 का मंज़र लोग देख चुके हैं कि किस तरह से मुसलमानों के घरों, मज़ारों और मस्जिदों पर बाहरी लोगों के हमले हुए है और किस तरह लोगों को कई-कई दिन तक घरों में क़ैद रहना पड़ा इसलिए थोड़ा डर तो है ही| बीते चार सालों में ‘लव जिहाद’ और ‘गौ रक्षा’ का मुद्दा लगातार उठा और अब राम मंदिर का मुद्दा| जिससे ज़ाहिर है की सत्ता की नाकामियों को छिपाने के लिए अयोध्या के मुद्दे को आगे रखकर धार्मिक भावनाओं को भड़का कर हिन्दुत्ववादी राजनीति की जा रही है| भारत की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू है| हिन्दू वोटरों को अपने पक्ष में करने का मौजूदा सरकार का यह पुराना सियासी गणित है|
इतिहास गवाह है कि राम मंदिर का सबंध धर्म से कम और राजनिति से अधिक रहा है| यदि धर्म और राजनीति से अलग हटकर देखें तो इसमें सबसे अधिक जिसका नुकसान हो रहा है वह है आज की नई युवा पीढ़ी| ‘हम हिन्दू है, हमारे साथ अन्याय हो रहा है’ जैसे बातें आज फैलाई जा रही है| इसके मद्देनज़र अयोध्या में शुरू हो रहे राम मंदिर का आन्दोलन नई युवा पीढ़ी के दिमाग में सांप्रदायिक राजनीती के बीज बो सकता है जो भारत के भविष्य को भी प्रभावित करेगा| इस बीच जो सवाल उठता है वह यह कि क्या ये सब भविष्य में भारतीय लोकतंत्र को बिगड़ने के लक्षण नहीं है?

