सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई भारत के 46वें मुख्य न्यायधीश होंगे| राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के नए सीजेआई के लिए जस्टिस रंजन को नियुक्त किया है| वह तीन अक्टूबर को नए मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे| वहीँ, सीजेआई दीपक मिश्रा दो अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं| बतौर सीजेआई जस्टिस गोगई का कार्यकाल नवंबर 2019 तक रहेगा|
बता दें कि कानून मंत्रालय ने जस्टिस दीपक मिश्रा से अगले चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश मांगी थी जिसमें दीपक मिश्रा के बाद सबसे वरिष्ठक्रम में रंजन गोगई है|
रंजन गोगई का जन्म 18 नवंबर 1954 में हुआ था| उन्होंने 24 वर्ष की उम्र से ही 1978 में वकालत शुरू की थी| उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में लम्बे समय तक वकालत की| साथ ही इन्हें टक्सेसन और कंपनी मामलों का अच्छा-ख़ासा अनुभव रहा है| वह 28 फ़रवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में स्थाई जज बने|
वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भी जज रहें हैं| उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और अप्रैल, 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनें|
रंजन गोगई का नाम पिछली बार मीडिया में तब आया था जब वे और अन्य तीन जजों ने मिलकर सीजेआई दीपिक मिश्रा की कार्यप्रणाली को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की थी और उन पर गंभीर आरोप लगाए थे| देश और न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट के जज मीडिया के सामने आए और अपनी बात रखी थी|
जस्टिस गोगोई ने कई बहुचर्चित केस पर दिए फैसले
सुप्रीम कोर्ट के कई पीठों का हिस्सा रह चुके रंजन गोगोई ने कई अहम फैसलें दिए है| मई 2016 में जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस पीसी पंत की पीठ ने मुंबई हाईकोर्ट के 2012 के उस ऑर्डर को निरस्त कर दिया था, जिसमें कौन बनेगा करोड़पति शो से अमिताभ की कमाई के असेसमेंट पर रोक लगाई गई थी| दरअसल इनकम टैक्स विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर आरोप लगाया था कि 2002-03 के दौरान हुई कमाई पर अमिताभ ने 1.66 करोड़ रूपए कम टैक्स चुकाया था|
साथ ही फरवरी 2011 को केरल में ट्रेन में 23 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार की घटना देश भर में चर्चा का विषय बनी थी| इस बहुचर्चित केस में निचली अदालत ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी परन्तु हाईकोर्ट ने इस सज़ा पर रोक लगा दी थी| बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया जिसमें जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने आरोपी की मौत की सजा निरस्त कर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था| जस्टिस गोगोई के इस फैसलें पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीखी आलोचना की थी| साथ ही पूर्व न्यायधीश मार्कंडेय काटजू ने अपने ब्लाक के ज़रिए इस फैसले को लेकर कई सवाल भी उठाए थे|

