
लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन को सार्वजनिक किया गया, यह सरकार का फैसला था, लेकिन मेरा मानना है कि इस ऑपरेशन का अब राजनीतिकरण ठीक नहीं है। सेना की ओर से नियंत्रण रेखा के पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करने के दो साल बाद लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने शुक्रवार को कहा कि सफलता पर शुरुआती खुशी स्वाभाविक है, लेकिन अभियान का लगातार प्रचार करना गलत है।
बता दें कि कश्मीर के उड़ी में 2 साल पहले सैन्य शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक किया था और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के कई लॉन्च पैड्स ध्वस्त कर दिए थे। जिसके बाद केंद्र सरकार ने सेना की इस सफलता का श्रेय लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इन सबके बीच अब सेना के एक पूर्व अधिकारी ने भी सर्जिकल स्ट्राइक के प्रचार-प्रसार पर सवाल उठाए हैं।
Related Article:स्वच्छ भारत अभियान: सफाई मजदूरों के अधिकारों के साथ भद्दा मजाक: एआईसीसीटीयू
जनरल हुड्डा 29 सितंबर 2016 को नियंत्रण रेखा के पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त उत्तरी सैन्य कमान के कमांडर थे।
जनरल डीएस हुड्डा चंडीगढ़ लेक क्लब में शुक्रवार से शुरू हुए आर्मी मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में रोल ऑफ क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन एंड सर्जिकल स्ट्राइक विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा, “सर्जिकल स्ट्राइक करना जरूरी था। उरी में हमारे कई जवान शहीद हुए थे और पाकिस्तान को एक मजूबत संदेश देना जरूरी हो गया था। लेकिन इसका राजनीतिकरण हो गया है। ये भी लगता है थोड़ी ओवरहाइप हो गई, थोड़ी पोलिटिसाइज हो गई। बेहतर होता यदि ऐसे सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी गोपनीय रखी जाती”।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक और आर्मी के मुद्दों को अलग-अलग ही रखना बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि सभी सैन्य ऑपरेशन्स को भी सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं होती, लेकिन इस ऑपरेशन की परिस्थितियों ऐसी थी कि इसे सार्वजनिक करना पड़ा। डीएस हुड्डा ने आगे कहा है, “सर्जिकल स्ट्राइक का ढिंढोरा पीटने से मदद नहीं मिली। मेरा मानना है कि स्ट्राइक का महिमामंडन करने से राजनीतिक कोई फायदा नहीं मिला होगा। अगर आप सैन्य ऑपरेशंस में राजनैतिक फायदे लेना शुरू कर देंगे तो यह ठीक नहीं है”।
Related Article:दिल्ली के सरकारी स्कलों में पनप रही है धर्म की राजनीति
उन्होंने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से होने वाली उकसावे की कार्रवाई और निरंतर संघर्ष विराम उल्लंघन को देखते हुए सेना का सतर्क व सक्रिय रहना जरूरी है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमेशा सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। बीते दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ‘सैन्य फैसले’ को भी राजनीतिक संपत्ति बना दिया जबकि यही काम पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार ने भी तीन बार किया था।

