मुख्य सुचना आयुक्त (सीआईसी) के तौर पर अपने आखिरी कार्यकाल के मौके पर राधा कृष्ण माथुर ने मीडिया से
केन्द्रीय सुचना आयोग के आंतरिक रूप से प्रस्तावित संसोधनो पर चर्चा की|
‘द हिंदू’ से बात करते हुए कृष्ण माथुर ने कहा कि हमने केंद्रीय सुचना आयोग से इस पर चर्चा की थी लेकिन आयोग ने
प्रस्ताव नहीं माना| उन्होंने आयोग के कार्यकलाप एवं अधिनियम के कार्यान्वयन पर संशोधन के प्रभाव पर टिप्पणी
करने से भी इनकार कर दिया|
बता दें सरकार ने इस साल जुलाई में लोकसभा में सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2018 पेश करने की
योजना बनाई थी लेकिन सिविल सोसाइटी और विपक्ष के विरोध के कारण वह लोकसभा में पेश नहीं हो पाया|
विधेयक में केंद्र को राज्य और केंद्रीय सूचना आयुक्तों के कार्यकाल और वेतन का फैसला करने की शक्ति देने का
प्रस्ताव था परन्तु आलोचकों का कहना था कि यह संशोधन आयोग की आजादी और अधिकार को कमजोर बनाती है|
हालांकि, आयोग ने पूरी तरह से कोई आधिकारिक रुख नहीं लिया है लेकिन कई आयुक्तों ने अपने विचार सार्वजनिक
किए हैं जो आंतरिक रूप से विभाजन को संकेत देते है| सरकारी प्रशासन में पृष्ठभूमि के बिना एकमात्र आयुक्त एम
श्रीधर आचार्युलु ने संशोधन किए जाने के तुरंत बाद अपने साथियों को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने दावा किया
कि प्रस्ताव आयोग को कमजोर करेगा|
पिछले माह अक्टूबर में वार्षिक आरटीआई सम्मेलन के दौरान एम श्रीधर आचार्युलु और उनके साथी आयुक्त
यशवर्धन आजाद ने सार्वजनिक रूप से इस संशोधन की निंदा की थी जबकि एक अन्य आयुक्त डीपी सिन्हा ने
संसोधन की प्रशंसा करते हुए उसे प्रासंगिक बताया था|
त्रिपुरा कैडर के 1977 बैच के आईएएस अधिकारी कृष्ण माथुर ने जनवरी 2016 से आयोग का नेतृत्व किया था| उन्हें
2015 में रक्षा सचिव के रूप में सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद इस पद पर नियुक्त किया गया था| एम श्रीधर आचार्युलु और
यशवर्धन आजाद दोनों ने इस सप्ताह के शुरू में अपने कार्यकाल पूरे किए और चौथे आयुक्त अमिताव भट्टाचार्य 1
दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे|
Related Articles:
- आरटीआई रैंकिंग: भारत छठे पदान पे लुढ़का, अफ़ग़ानिस्तान नंबर 1 पर
- कार्यस्थल में महिलाओं के साथ बढ़ते यौन उत्पीड़न मामलें… क्या कहती है रिपोर्ट?
अधिकारियों के सेवानिवृत्त के मद्देनज़र केंद्र ने जुलाई माह में मौजूदा रिक्तियों को भरने के लिए एक विज्ञापन जारी
किया था चूँकि संसद में आरटीआई संशोधन विधेयक को फिर से पेश करने का इरादा था इसलिए विज्ञापन में वेतन
एवं कार्यकाल पर कोई विवरण शामिल नहीं किया गया था| वर्तमान कानून पांच साल का कार्यकाल निर्धारित करता
है जो चुनाव आयुक्तों से मेल खाता है| राधा कृष्ण माथुर ने स्वीकार किया कि आयोग की ताकत को कम करने से
कार्य पर असर पड़ेगा और लापरवाही बढ़ जाएगी जिससे अधिक देरी होने के अनुमान है| उन्होंने बताया कि अपने
कार्यकाल के दौरान मामलों की लापरवाही लगभग 35 हज़ार से घटकर 25 हज़ार हो गई थी|
कृष्ण माथुर ने कहा कि आरटीआई अधिनियम के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक गोपनीयता का मुद्दा होगा|
उन्होंने कहा दुनिया दोनों दिशाओं में आगे बढ़ रही है जिसमे अधिक गोपनीयता और अधिक जानकारी के लिए बढ़ती
मांग है| हमें सही संतुलन खोजने की जरूरत है| साथ ही इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस करने की जरूरत है|
हालांकि, उन्होंने न्यायमूर्ति बीएन की हालिया सिफारिशों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया| श्रीधर आचार्युलु
समेत आलोचकों ने यह दावा किया है कि आयोग में संसोधन होने से कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को सार्वजनिक
जांच से बचाया जा सकेगा| इसके साथ ही आरटीआई अधिनियम एक सीमा में बंध कर रह जाएगी|

